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Tuesday, June 17, 2025

योग --भारत की देन



नित्य संदेश। भारत प्राचीन समय से ही महादानी कहलाता रहा है। विश्व को सदा से ही कुछ देता रहा है। योग ऐसा अनमोल तोहफा है जिसे विश्व को प्रदान कर विश्व गुरु, धर्म गुरु जैसे पद को पाने का पुरुषार्थ किया है। चीन यात्री ह्वेनसांग ने भारतीय योग तथा बौद्ध धर्म से जुड़े आलेखों का चीनी भाषा में अनुवाद किया। इसप्रकार भारत की योग परम्परा अत्यंत प्राचीन है।यह सम्पूर्ण सृष्टि 'प्रकृति' तथा पुरुष के संयोग की अभिव्यक्ति है।
          
मानव मन आज जितना सशंकित व भयभीत हैं उतना पहले कभी नहीं था। जीवन मृत्यु शाश्वत है जानकार सदा निश्चिंत रहता था‌। विश्व भर में मची उथल-पुथल और संघर्षों से विचलित मानव सोच रहा है कि विश्व शांति व वैश्विक भाईचारे की संभावना को बल देने वाला कोई उपाय होगा तो यह योग ही है। भारत का यह दिव्य विज्ञान जो प्रधानमंत्री मोदी जी के प्रयासों से विश्व पटल पर 2014 मे दस्तक दे चुका है। स्वास्थ्य, समरसता,और शांति को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष 21जून 2015 से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की शुरुआत हुई।"यह सामर्थ्य भी भारत ने ही दिखाया है।" इसका श्रेय अनेक धर्म संस्थाओं को तथा महर्षि पतंजलि, महर्षि अरविन्द स्वामी, स्वामी विवेकानंद, परमहंस योगानंद , रामदेव बाबा आदि अनेक योग गुरुओं को जाता है।
          
देश विदेश में योग की महत्ता को लोगों ने स्वीकार किया इसके लिए विशेष रूप से प्रतिदिन करोड़ों लोगों को योग का प्रशिक्षण देने वाले योगाचार्य रामदेव बाबा के प्रति देश एवं देश की जनता तहे दिल से आभारी हैं। निरन्तर वे मानव समाज को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रहे हैं। महर्षि पतंजलि ने 300 साल ईसा पूर्व ही कहा था कि अष्टांग योग, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधी इन साधनों के विधिवत् अनुष्ठान से ही मनुष्य परम पद को प्राप्त करता है। 

"योग का शाब्दिक अर्थ है जोड़,"आत्मा का परमात्मा से मिलन ही योग है। योग शारीरिक, तथा रूहानी होता है। यह योग ऐसा अनुशासन है जिससे चित्त की वृत्तियों का निरोध होता है एवं मनुष्य अपने आत्म स्वरूप में स्थित हो जाता हैं। फिर उससे वो ही कर्म होते हैं जो आत्मा और शरीर को स्वस्थ रखें।योग अपने अन्दर की दिव्यता को विकसित करने का और निखारने का सुन्दर तरीका है। नियमित और गहराई से योग अभ्यास करेंगे उतना जल्दी अपने कार्य को शांतिपूर्वक कर सकते हैं।योग हमें भगवान के समीप ले जाता है । अनन्त के प्यार का अवर्णनीयअनुभव कराता है।  

इस प्रकार शारीरिक तथा आत्मिक योग की प्रक्रिया को भली-भांति समझकर करने से अनेक लाभ होते हे। प्रशिक्षु निरन्तर अभ्यास से और योग के प्रयोग से बेहद की स्थिति को प्राप्त होते हैं।
          
अमिता मराठे
इंदौर, मध्य प्रदेश

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