सपना सीपी साहू
नित्य संदेश, इंदौर। शहर के लिए प्रसन्नता का विषय है कि वरिष्ठ लेखिका ज्योति जैन की दो लघुकथाएं महाराष्ट्र के सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, पुणे द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत द्वितीय वर्ष कला हिंदी के पाठ्यक्रम में सम्मिलित की गई है।
उनकी चयनित पहली लघुकथा 'श्रम सौंदर्य' व दूसरी लघुकथा 'पानी के पेड़' है। लघुकथा श्रम से असली सौंदर्य को इंगित कर कर्मशील बनने की प्रेरणा देती है।
वहीं पानी के पेड़ अबोध बच्ची के जरिए सोचने पर विवश करती है जल है तो कल है।
ज्योति जैन की यह उपलब्धि इसलिए भी बहुत बड़ी है क्योंकि, उनकी लघुकथाएं देश के ख्यातिलब्ध साहित्यकार विष्णु प्रभाकर, हरिशंकर परसाई, चित्रा मुद्गल आदि के साथ पाठ्यक्रम में सम्मिलित की गई है।
लेखिका की अन्य लघुकथाएं 'नीम का पेड़' और 'पशु भाषा' महाराष्ट्र माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा नौवीं कक्षा के भी पाठ्यक्रम का हिस्सा है।
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