नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। पूर्वांचल विद्युत
वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में मंगलवार को
प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर बिजली कर्मचारियों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन
किया। संघर्ष समिति ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन पर यह आरोप लगाया है कि वह आंकड़ों
का फर्जीवाड़ा कर बढ़ा चढ़ा कर घाटा दिखा रहे हैं और आम उपभोक्ताओं पर इसका बोझ डालना
चाहते हैं, जबकि इसके पीछे मुख्य मकसद निजी घरानों की मदद करना है।
ऊर्जा भवन में संघर्ष समिति
की हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि निजीकरण के विरोध में 21 मई से समस्त जनपदों
और परियोजनाओं पर व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। विरोध प्रदर्शन का यह कार्यक्रम
28 मई तक चलेगा। 29 मई से संघर्ष समिति ने निजीकरण के विरोध में अनिश्चितकालीन कार्य
बहिष्कार की नोटिस दी है। संघर्ष समिति ने कहा कि 29 मई से होने वाले अनिश्चितकालीन
कार्य बहिष्कार के पहले 21 मई से संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों के प्रांत
व्यापी दौरे प्रारंभ होंगे। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों इं सीपी सिंह (सेवानिवृत),
इं कृष्ण कुमार साराश्वत, इं निखिल कुमार, इं निशान्त त्यागी, इं प्रगति राजपूत, कपिल
देव गौतम, जितेन्द्र कुमार, दीपक कश्यप, प्रदीप डोगरा, दिलमनी, मांगेराम, भूपेंद्र,
कासिफ आदि ने कहा कि देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि जब किसी प्रांत में पावर
कारपोरेशन ने अपने ए आर आर को चार दिन के अंदर पुनरीक्षित कर घाटा बढ़ा चढ़ा कर नई
ए आर आर दाखिल की है।
संघर्ष समिति ने कहा कि
यह सब निजीकरण से पहले निजी घरानों की मदद करने के लिए किया जा रहा है। आगरा में भी
निजीकरण के पहले ए टी एंड सी हानियां 54% बताई गई थी, जो वास्तव में 40% के नीचे थी।
इसका दुष्परिणाम यह है कि आज भी आगरा में पावर कॉरपोरेशन 5.55 रु प्रति यूनिट की दर
से बिजली खरीद कर निजी कंपनी को 04. 36 रु प्रति यूनिट में दे रही है और 274 करोड़
रुपए का सालाना नुकसान उठा रही है। निजीकरण के विरोध में प्रदेश व्यापी व्यापक विरोध
प्रदर्शन के दौरान ऊर्जा भवन कार्यालय में हुई विरोध सभा में सभी बिजली कर्मचारियों
ने निजीकरण के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद की।
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