मान्यता प्रदान करने वाले संगठनों
के परफोर्मेन्स, चुनौतियों एवं भावी योजनाओं पर डाली
रोशनी
नित्य संदेश ब्यूरो
नई दिल्ली।
कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) ने अपनी पहल ‘कौशल मंथन’ के तहत नई दिल्ली
के कौशल भवन स्थित कॉन्फ्रैन्स हॉल में एक विशेष कार्यशाला ‘पीएमकेवीवाय इम्प्लीमेंटेशन विद अवॉर्डिंग बॉडीज़ (मान्यता देने वाले
संगठनों के साथ प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का निष्पादन)’ का आयोजन किया।
कार्यशाला की अध्यक्षता एवं उद्घाटन
कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार तिवारी ने किया। उन्होंने प्रशिक्षण
चक्र में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण की गुणवत्ता को मजबूत बनाने
में मान्यता देने वाले संगठनों की भूमिका, इन संगठनों के
परफोर्मेन्स की समीक्षा, मूल्यांकन प्रक्रिया के मानकीकरण पर रोशनी डाली।
कार्यशाला में राष्ट्रीय व्यवसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी), राष्ट्रीय विद्युत एवं सूचना प्रोद्यौगिकी संस्थान (एनआईईएलआईटी),
केन्द्रीय पेट्रोकैमिकल्स इंजीनियरिंग एवं प्रोद्यौगिकी संस्थान (सीआईपीईटी) राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) और राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों जैसे आईआईटी मंडी, आईआईटी रोपड़ एवं
आईआईएम तथा मान्यता देने वाले अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इन सभी
प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के परफोर्मेन्स, चुनौतियों एवं भावी योजनाओं पर विचार-विमर्श किया। श्री कुमार ने इस संदर्भ में जारी की गई नई मानक संचालन प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताया।
साथ ही मूल्यांकन प्रक्रिया में इन संगठनों के सामने आने वाली चुनौतियों, इनके समाधान,
स्किल इंडिया डिजिटल हब के माध्यम से शिकायत निवारण प्रणाली
के सशक्तीकरण, उद्योग-उन्मुख प्रशिक्षण को बढ़ावा देने, कौशल विकास प्रशिक्षण को महत्वाकांक्षी उम्मीदवारों के लिए सुलभ बनाने हेतु ओद्यौगिक
साझेदारियों के महत्व पर भी विचार रखे।
उच्च गुणवत्ता के कौशल प्रमाणीकरण
तथा प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के सुगम निष्पादन को सुनिश्चित करने में इन संगठनों
की भूमिका पर ज़ोर देते हुए कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार
तिवारी ने कहा, ‘‘पिछले कुछ सालों के दौरान भारत की कौशल प्रणाली तेज़ी से विकसित
हुई है और इसने दुनिया भर में विशेष पहचान हासिल की है। अपने मजबूत जनसांख्यिकी लाभांश
के साथ अब हमें कौशल विकास के लिए विशेष दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, ताकि हम अपने युवाओं को उद्योग जगत की ज़रूरतों के अनुसार तैयार कर सकें। प्रधानमंत्री
भी शिक्षा एवं कौशल को एक समान महत्व देते हैं, यही कारण है कि
इस दिशा में सरकार,
खासतौर पर एमएसडीई द्वारा उल्लेखनीय कार्य किया गया है।’
सोनल मिश्रा (संयुक्त सचिव, एमएसडीई), डॉ. विनीता अग्रवाल (कार्यकारी सदस्य, एनसीवीईटी), डॉ. नीना पाहुजा (कार्यकारी सदस्य,
एनसीवीईटी) और ऋषिकेश पटंकर (वाईस प्रेज़ीडेन्ट, गवर्नमेन्ट प्रोग्राम्स, इंडस्ट्री एण्ड एकेडमिया कोलाबोरेशन, एनएसडीसी) भी उद्घाटन
सत्र के दौरान मौजूद रहे। इसके अलावा 150 से अधिक प्रतिभागियों
ने कार्यक्रम में उत्साह के साथ हिस्सा लिया। इस बात पर आम सहमति बन रही है कि भारत
को विकसित राष्ट्र बनाने की यात्रा में कौशल विकास महत्वपूर्ण कारक है। इसके लिए हमें
अपनी प्रशिक्षण सुविधाओं, प्रशिक्षकों एवं कंटेंट की गुणवत्ता में सुधार
लाना होगा, साथ ही कौशल के तरीकों का निरंतर मूल्यांकन करते हुए इन्हें बेहतर बनाने
के प्रयास करने होंगे। एसएससी एवं मान्यता प्रदान करने वाले संगठनों को सुनिश्चित करना
चाहिए कि कौशल को मुख्यधारा शिक्षा में शामिल किया जाए। बीए., बी.कॉम., बी.एससी. जैसी डिग्री को भी अधिक रोज़गार उन्मुख बनाया जाए।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने प्रधानमंत्री
कौशल विकास योजना का संक्षिप्त विवरण देते हुए इसकी उपलब्धियों एवं आगामी पहलों पर
रोशनी डाली। 2015 में इस योजना की शुरूआत के बाद से 1.6 करोड़ से अधिक उम्मीदवारों
को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित किया जा चुका है। पिछले तीन चरणों
में सफलता हासिल करने के बाद, वर्तमान में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का
चौथा चरण जारी है,
जो कौशल प्रणाली को अधिक प्रत्यास्थ, समावेशी एवं तकनीक-उन्मुख बनाकर युवाओं की रोज़गार क्षमता में सुधार
लाने पर ध्यान केन्द्रित करता है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 के तहत छह हज़ार से अधिक प्रशिक्षक युवाओं को 170 जॉब रोल्स में
प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।
एक इंटरैक्टिव ओपन फोरम के माध्यम
से हितधारकों को इस क्षेत्र से जुड़े मुद्दों एवं इनके समाधणनों पर चर्चा करने का मौका
मिला। उन्होनें कई महत्वपूर्ण विषयों पर विचार रखे जैसे शिकायत निवारण के लिए विशेष
प्रणाली का निर्माण,
मान्यता प्रदान करने वाले अन्य संगठनों के जॉब-रोल्स/ कोर्सेज़ को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 के तहत शामिल करना, समय पर मूल्यांकन के लिए एसएससी की मूल्यांकन
प्रणाली का विस्तार,
इस संदर्भ में उचित प्रतिक्रिया न देने वाले प्रशिक्षण पार्टनर्स
के खिलाफ़ कार्रवाई,
लक्षित समूह को ध्यान में रखते हुए कोर्स की अवधि को अनुकूलित
करना, प्रशिक्षण प्रोग्रामों को इंटरैक्टिव बनाने के लिए आधुनिक दृष्टिकोण
जैसे गेमीफिकेशन को अपनाना, मान्यता देने वाले संस्थानों का पंजीकरण, कौशल की खामियों पर नियमित अध्ययन कर इसे उद्योग जगत की ज़रूरतों के अनुरूप बनाना
तथा मान्यता प्रदान करने वाले संगठनों के लिए उद्योग जगत के साथ साझेदारी को मानक प्रक्रिया
बनाना।
दिन भर चले इस कार्यक्रम का समापन
विशेष सत्र के साथ हुआ, जहां प्रशिक्षण के प्रयासों को बेहतर बनाने और
इससे जुड़ी प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श किया गया। कार्यशाला ने उद्योग जगत की
ज़रूरतों के अनुसार कौशल विकास के महत्व पर ज़ोर देते हुए विचारों के आदान-प्रदान, आपसी सहयोग को बढ़ावा देने वाले महत्वपूर्ण मंच की भूमिका निभाई।
No comments:
Post a Comment