नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। हरिवंशपुराण की कथा के आठवें दिन कथाव्यास डा. पूनम लखनपाल नें रुक्मिणी द्वारा कृष्ण भगवान से संतान प्राप्ति की याचना की कथा सुनाई।कृष्ण भगवान का तपस्या के लिये बदरीवन में जाना, जिसे ऋषियों की मुख्य तपोभूमि कहा जाता है, ऋषियों द्वारा कृष्ण स्तुति, घण्टाकर्ण नामक पिशाच का आगमन व मुक्ति हेतु महेश की तपस्या करना, महेश द्वारा हरि की तपस्या करने के लिये कहना व घण्टाकर्ण द्वारा उनकी स्तुति करना, उनकी कृपा से पिशाच को दिव्यस्वरूप प्राप्त होना व स्वर्गागमन करना, तत्पश्चात् कृष्ण भगवान का कैलाश गमन व शिव भगवान की तपस्या करना, भगवान शिव का प्रकट होना व कामदेव को पुत्र रूप में प्राप्त होने का वरदान देना। शिवजी द्वारा विष्णु भगवान की स्तुति और विष्णु द्वारा शिव की स्तुति। ऋषि मुनियों को भी कृष्ण तत्त्व का बोध करवाना आदि प्रसंगों को सुनाया।
पौण्ड्रक द्वारा द्वारिका पर आक्रमण, यदुवंशियों द्वारा पौण्ड्रक का सामना करना, अंततः कृष्ण भगवान का आगमन, पौण्ड्रक व कृष्ण का युद्ध, पौण्ड्रक की पराजय और ब्रह्मदत्त के पुत्र हंस व डम्भक की कथा का वर्णन हुआ।
No comments:
Post a Comment