गरीब किसान, मजदूर, छोटे व्यापारी और आम नागरिक के लिए इतनी दूर जाकर मुकदमा लड़ना **असंभव के समान** है। समय, धन और संसाधनों के अभाव में न्याय अक्सर अधूरा रह जाता है। यही कारण है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में **हाई कोर्ट की पीठ की स्थापना अब कोई मांग नहीं, बल्कि अनिवार्यता बन चुकी है।**
**सस्ता, सुलभ और त्वरित न्याय — हमारा संवैधानिक अधिकार**
संविधान हर नागरिक को समान न्याय का अधिकार देता है। लेकिन जब न्यायालय इतनी दूर हो कि आम आदमी वहाँ पहुँच ही न सके, तो यह अधिकार केवल कागज़ों तक सीमित रह जाता है।
हाई कोर्ट पीठ की स्थापना से:
* गरीब किसान का शोषण रुकेगा
* मजदूर को समय पर न्याय मिलेगा
* व्यापारियों को वर्षों तक मुकदमों में उलझना नहीं पड़ेगा
* महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं को न्याय सुलभ होगा
**शोषण के खिलाफ न्याय की आवाज**
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान आज भी न्याय के लिए भटक रहा है, मजदूर अपने हक के लिए तरस रहा है और व्यापारी प्रशासनिक व कानूनी उत्पीड़न से जूझ रहा है।
**हाई कोर्ट पीठ का अभाव सीधे-सीधे शोषण को बढ़ावा दे रहा है।**
**यह समय की पुकार है, समय की मांग है**
अब और इंतजार नहीं हो सकता।
यह केवल वकीलों की मांग नहीं है—
यह **युवा शक्ति की मांग है**,
यह **पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सम्मान की मांग है**,
यह **न्यायप्रिय समाज की मांग है।**
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का नौजवान आज जाग चुका है।
वह संघर्ष के लिए तैयार है।
वह अपने हक के लिए सड़क से सदन तक आवाज उठाने को तैयार है।
*नेशनल यूनाइटेड फ्रंट ऑफ डॉक्टर्स का संकल्प**
नेशनल यूनाइटेड फ्रंट ऑफ डॉक्टर्स पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट पीठ की स्थापना की मांग का **पूर्ण समर्थन करता है**।
हम मानते हैं कि न्याय केवल अदालत में नहीं, बल्कि **न्याय तक पहुँच में** भी होना चाहिए।
अब निर्णायक समय आ चुका है।
या तो न्याय हमारे पास आए—
या पूरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश न्याय के लिए एकजुट होकर खड़ा होगा।
*हाई कोर्ट पीठ चाहिए — अभी चाहिए!**
डॉ. अनिल नौसरान
संस्थापक
**नेशनल यूनाइटेड फ्रंट ऑफ डॉक्टर्स**
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