नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में स्वराज दिवस अत्यंत भव्यता, गरिमा और राष्ट्रभक्ति के वातावरण में मनाया गया। विश्वविद्यालय परिसर एक बार फिर देशभक्ति की गूंज से गूंज उठा, जहाँ प्रत्येक छात्र स्वराज दिवस की भावना को आत्मसात करते हुए उसे साकार करने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दिया।
कार्यक्रम का आयोजन दो चरणों में किया गया। प्रथम चरण में विश्वविद्यालय के महानिदेशक मेजर जनरल डॉ. जी. के. थपलियाल, कुलपति डॉ. प्रो. प्रमोद कुमार शर्मा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. शल्या राज, सुभारती डिफेंस अकादमी के निदेशक कर्नल राजेश त्यागी सहित विभिन्न संकायाध्यक्षों ने विश्वविद्यालय परिसर में स्थित आई.एन.ए. शहीद स्मारक पर देश के अमर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की। इसके उपरांत विश्वविद्यालय के बोधी उपवन परिसर में स्थित अशोक स्तम्भ के समीप कार्यक्रम के द्वितीय चरण के मुख्य अतिथि, फिल्म निर्माता, निर्देशक एवं विश्लेषक अमलन कुसुम घोष द्वारा आई.एन.ए. आज़ाद हिंद फ़ौज का ध्वज फहराया गया। इस अवसर पर सभी उपस्थितजनों ने एक स्वर में आज़ाद हिंद गान “शुभ सुख चैन की बरखा बरसे” का वाचन किया।
उल्लेखनीय है कि 30 दिसंबर 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा अंडमान-निकोबार द्वीप को भारत का प्रथम स्वतंत्र राज्य घोषित किया गया था तथा इसकी राजधानी पोर्ट ब्लेयर में आज़ाद हिंद का ध्वज फहराकर भारत की पहली आज़ाद हिंद सरकार का गठन किया गया था। इसी दिवस को नेताजी ने स्वराज दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के इसी आह्वान को आगे बढ़ाते हुए सुभारती विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष स्वराज दिवस को हर्षोल्लास के साथ मनाता आ रहा है। इसी क्रम में इस वर्ष चतुर्थ बार स्वराज दिवस का भव्य आयोजन किया गया।
ध्वजारोहण के पश्चात् विश्वविद्यालय के सत्यजीत रे सभागार में एक विस्तृत कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में कलकत्ता, बंगाल से पधारे फिल्म निर्माता अमलन कुसुम घोष उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि का स्वागत विश्वविद्यालय के महानिदेशक मेजर जनरल डॉ. जी. के. थपलियाल, कुलपति डॉ. प्रो. प्रमोद कुमार शर्मा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. शल्या राज एवं पत्रकारिता एवं जनसंचार विभागाध्यक्ष डॉ. प्रो. रितेश चौधरी द्वारा संयुक्त रूप से पौधा भेंट कर किया गया। कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रीति सिंह द्वारा किया गया। स्वराज दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं ललित कला संकाय के छात्रों द्वारा प्रस्तुत मनमोहक सरस्वती वंदना के साथ हुआ।
अपने उद्बोधन में विश्वविद्यालय के महानिदेशक मेजर जनरल डॉ. जी. के. थपलियाल ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का सम्पूर्ण जीवन देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत रहा। उन्होंने कहा कि हमें यह समझना होगा कि स्वतंत्रता कितने संघर्षों, कठिन परिश्रम और बलिदानों के बाद प्राप्त हुई है। उन्होंने स्वराज दिवस की मूल भावना पर प्रकाश डालते हुए आज़ाद हिंद फ़ौज के गठन एवं नेताजी के योगदान को रेखांकित किया तथा छात्रों से आह्वान किया कि वे नेताजी के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में देशभक्ति और राष्ट्रीयता को सर्वोपरि रखें।
कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के गणेश शंकर पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. आशुतोष वर्मा एवं राम प्रकाश तिवारी द्वारा लिखित पुस्तक “नैरेटिव ऑफ जस्टिस” का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सुप्रसिद्ध शामुक्त बैंड द्वारा देशभक्ति से ओत-प्रोत गीतों की सुंदर प्रस्तुति दी गई। स्वराज दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि अमलन कुसुम घोष द्वारा निर्मित एवं निर्देशित डॉक्यूमेंट्री “गुमनामी बाबा” का भी प्रदर्शन किया गया।
अपने संबोधन में विश्वविद्यालय की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. शल्या राज ने कहा कि जिस प्रकार स्वराज दिवस मनाया जा रहा है, उसी प्रकार प्रत्येक राष्ट्रीय पर्व को भी हमें हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नेताजी द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर ही हम अपने राष्ट्र को आगे बढ़ा सकते हैं और उसे विश्वगुरु बना सकते हैं।
मुख्य अतिथि, फिल्म निर्माता, निर्देशक एवं विश्लेषक अमलन कुसुम घोष ने अपने ओजस्वी संबोधन में कहा कि आज भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़े कई पहलू ऐसे हैं जो विश्व के सामने नहीं आ सके हैं। उन्होंने कहा कि बाल्यकाल से ही नेताजी ने भारत माता की रक्षा के लिए अपने जीवन को संकल्पबद्ध कर लिया था। रूस, जर्मनी, सिंगापुर जैसे देशों में अत्यंत कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए भी नेताजी ने भारत को स्वतंत्र और अखंड बनाने का संकल्प कमजोर नहीं पड़ने दिया। उन्होंने कहा कि आज़ाद हिंद फ़ौज की स्थापना ने अंग्रेजों की रीढ़ तोड़ दी थी और पूरे विश्व को एक सशक्त संदेश दिया था। अमलन कुसुम घोष ने कहा कि “गुमनामी बाबा” को नेताजी कहा जाता है क्योंकि आज भी यह स्पष्ट नहीं है कि नेताजी की मृत्यु कैसे हुई। विमान दुर्घटना में मृत्यु की बात मात्र एक प्रचार है। उन्होंने कहा कि नेताजी ने स्वतंत्रता के बाद वर्षों तक भारत के विभिन्न स्थानों पर संन्यासी के रूप में जीवन व्यतीत किया था। उन्होंने यह भी कहा कि नेताजी के साथ हुए विश्वासघातों को याद रखते हुए हमें देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए निरंतर कार्य करना होगा। उन्होंने सुभारती विश्वविद्यालय की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा यह उदाहरण प्रस्तुत किया जा रहा है कि शिक्षा में यदि राष्ट्रीयता का भाव जोड़ा जाए तो छात्र विकसित भारत के निर्माण में सीधा योगदान दे सकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सुभारती विश्वविद्यालय से शिक्षित प्रत्येक छात्र एक बेहतर नागरिक बनकर राष्ट्र की सेवा करेगा।
अपने संबोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रो. प्रमोद कुमार शर्मा ने कहा कि हमारे वीर क्रांतिकारियों एवं भारत माता के सपूतों द्वारा अपने प्राणों की आहुति देने के कारण ही आज हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस स्वतंत्रता की रक्षा एवं देश की अखंडता बनाए रखने के लिए हमें छात्र जीवन से ही सजग होकर कार्य करना होगा। कार्यक्रम का समापन “वंदे मातरम्” के सामूहिक गायन के साथ हुआ।
स्वराज दिवस के इस भव्य आयोजन में विश्वविद्यालय के महानिदेशक मेजर जनरल डॉ. जी. के. थपलियाल, कुलपति डॉ. प्रो. प्रमोद कुमार शर्मा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. शल्या राज, सुभारती डिफेंस अकादमी के निदेशक कर्नल राजेश त्यागी, मुख्य सुरक्षा अधिकारी कर्नल असीम कुकरेजा, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभागाध्यक्ष डॉ. प्रो. रितेश चौधरी, ललित कला संकायाध्यक्ष डॉ. पिंटू मिश्रा, शिक्षा संकायाध्यक्ष डॉ. संदीप चौधरी, सुभारती मीडिया के निदेशक प्रो. आर. पी. सिंह, विश्वविद्यालय के मीडिया समन्वयक सावन कुमार सहित बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की।


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