नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है। इस बैंक से करोड़ों ग्राहक प्रतिदिन अपने छोटे-बड़े वित्तीय कार्यों के लिए संपर्क करते हैं। ऐसे में बैंक की सेवाओं की निरंतरता और ग्राहकों की सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। परंतु यह देखा जा रहा है कि अनेक शाखाओं में “लंच ब्रेक” के नाम पर दोपहर 2 बजे से 3 बजे के बीच सभी कार्य पूरी तरह बंद कर दिए जाते हैं। इस अवधि में ग्राहकों को यह कहकर लौटा दिया जाता है कि “लंच टाइम है, काम नहीं होगा”। यह व्यवहार न केवल ग्राहकों के साथ अन्यायपूर्ण है, बल्कि बैंकिंग नियमों के भी विपरीत है।
दरअसल, भारतीय स्टेट बैंक में ‘स्टैगर्ड लंच ब्रेक’ (Staggered Lunch Break) की व्यवस्था है — अर्थात कर्मचारियों का भोजन अवकाश क्रमवार तरीके से होता है ताकि शाखा की सेवा निरंतर चलती रहे। यानी, कुछ कर्मचारी पहले लंच करते हैं और बाकी कार्य करते रहते हैं, फिर वे लंच पर जाते हैं जब पहले वाले लौट आते हैं। इसका उद्देश्य यही है कि **ग्राहकों की सुविधा में कोई बाधा न आए, लेकिन कई शाखाओं में इस व्यवस्था का उल्लंघन किया जा रहा है। दोपहर 2 बजे से 3 बजे तक पूरे स्टाफ के एक साथ लंच पर जाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। यह ग्राहकों के लिए परेशानी का कारण बन रही है — विशेष रूप से बुजुर्गों, कामकाजी लोगों और ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले नागरिकों के लिए। ऐसी ‘सामूहिक लंच ब्रेक’ की प्रवृत्ति न केवल बैंक के सेवा मानकों को गिराती है, बल्कि सार्वजनिक सेवा भावना के भी विरुद्ध है। बैंक कर्मियों को यह समझना चाहिए कि वे जनता की सेवा के लिए नियुक्त हैं, और स्टैगर्ड ब्रेक व्यवस्था का पालन करना उनका कर्तव्य है।
इस अव्यवस्था पर त्वरित रोक लगाई जानी चाहिए।
गवर्निंग अथॉरिटीज़, बैंक प्रबंधन और आरबीआई को चाहिए कि इस मामले को गंभीरता से लें और शाखाओं में स्टैगर्ड लंच ब्रेक के नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें। ग्राहक संतोष ही बैंक की साख है — और यह तभी संभव है जब सेवाएं निरंतर और पारदर्शी रहें।
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