नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने कहा कि परंपरा के अनुसार चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय इस वर्ष भी दीक्षांत समारोह से पहले दीक्षोत्सव का आयोजन कर रहा है। इस दीक्षोत्सव का मुख्य उद्देश्य केवल औपचारिक प्रतियोगिताओं का आयोजन करना नहीं है, बल्कि छात्रों को दीक्षांत समारोह जैसे ऐतिहासिक अवसर से भावनात्मक और बौद्धिक रूप से जोड़ना है।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष दीक्षोत्सव की शुरुआत विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए पाँच गाँवों सिकहेड़ा, बलमपुर, लालपुर, मीरपुर और भदौड़ा से होगी। इन गाँवों के सभी प्राथमिक विद्यालयों, माध्यमिक विद्यालयों और 14 आंगनबाड़ी केंद्रों में स्वच्छता, रखरखाव और खेलकूद से संबंधित प्रतियोगिताएँ होंगी। प्रतियोगिताओं को आयु और कक्षा स्तर के आधार पर चार समूहों में बाँटा जाएगा — कक्षा 3 से 5, कक्षा 6 से 8, कक्षा 9 से 10, और कक्षा 11 से 12। इन समूहों में कहानी सुनाना, भाषण और चित्रकला प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएंगी। सभी प्रतिभागियों से उनके भाषण लिखवाए जाएंगे, जिन्हें एक पुस्तिका के रूप में संकलित कर माननीय कुलाधिपति को प्रस्तुत किया जाएगा। यह पुस्तिका न केवल छात्रों के विचारों और दृष्टिकोण का दस्तावेज़ होगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगी।
उन्होंने आगे बताया कि यह पहल केवल ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे विश्वविद्यालय परिसर और उससे संबद्ध कॉलेजों तक भी विस्तारित किया जाएगा। यहाँ पर भाषण, निबंध लेखन और कविता लेखन जैसी प्रतियोगिताएँ होंगी, साथ ही कबड्डी और खो-खो जैसे पारंपरिक भारतीय खेल भी आयोजित किए जाएंगे। इसके अलावा नृत्य, गायन, भाषण और एक विशेष महिला संगोष्ठी भी आयोजित की जाएगी। कुलपति ने बताया कि इन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को 18 सितंबर को सम्मानित किया जाएगा तथा 22 सितंबर को आयोजित होने वाले दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति द्वारा उन्हें पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
उन्होंने जोर देकर कहा कि दीक्षोत्सव का व्यापक उद्देश्य शिक्षा को जीवन से जोड़ना है और छात्रों को यह संदेश देना है कि विश्वविद्यालय की डिग्री केवल एक प्रमाणपत्र नहीं है, बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारियों को निभाने का संकल्प है। इस दीक्षोत्सव की प्रभारी प्रो. नीलू जैन गुप्ता, अध्यक्ष साहित्यिक एवं सांस्कृतिक परिषद, और संयोजक प्रो. के.के. शर्मा अपनी टीम के साथ — जिसमें आठ प्राध्यापक, आठ सहायक प्राध्यापक और दो अन्य सहयोगी टीमें शामिल हैं — इसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं।
प्रोफेसर शुक्ला ने जोर दिया कि शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों और कक्षाओं तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। जब छात्र खेल, कला, साहित्य, भाषण, नृत्य और संगीत जैसी गतिविधियों में भाग लेते हैं, तो उनकी आत्मविश्वास, सृजनशीलता और नेतृत्व क्षमता विकसित होती है। यही कारण है कि विश्वविद्यालय ने गाँवों से लेकर अपने परिसर तक प्रतियोगिताओं की श्रृंखला शुरू की है ताकि ग्रामीण और शहरी दोनों पृष्ठभूमि के छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने के समान अवसर मिल सकें। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी पहलें छात्रों में सामाजिक जिम्मेदारी की भावना पैदा करती हैं। स्वच्छता प्रतियोगिताएँ और आंगनबाड़ी केंद्रों की भागीदारी बच्चों को समाज और पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक बनाएगी। इसी तरह कहानी, भाषण और निबंध लेखन उनकी अभिव्यक्ति की शक्ति को व्यापक बनाएगा।
इस अवसर पर प्रतिकूलपति प्रोफेसर मृदुल कुमार गुप्ता शोध निदेशक प्रोफेसर वीरपाल सिंह साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद की अध्यक्ष प्रोफेसर नीलू जैन गुप्ता प्रोफेसर जमाल अहमद सिद्दीकी, प्रोफेसर इंचार्ज मीडिया सेल प्रोफेसर मुकेश कुमार शर्मा, डॉक्टर विवेक कुमार त्यागी, सदस्य मितेंद्र कुमार गुप्ता, इंजीनियर प्रवीण पवार आदि मौजूद रहे।
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