खुशी श्रीवास्तव
नित्य संदेश, मेरठ: इन विट्रो फर्टिलाइजेशन से जुड़ी सटीक जानकारी देना आज के समय की आवश्यकता बन गई है, ताकि महिलाएं और दंपति गर्भधारण से जुड़ी समस्याओं को बेहतर समझ सकें और सही निर्णय ले सकें। विशेषज्ञों के अनुसार, आईपीएफ प्रक्रिया को लेकर समाज में फैली कई भ्रांतियों को दूर कर इसके वास्तविक स्वरूप को समझना बेहद जरूरी है। इस दिशा में अनुभवी डॉक्टरों द्वारा समय-समय पर सही मार्गदर्शन और जानकारी साझा की जा रही है।
आज की उन्नत तकनीकों, जैसे जेनेटिक स्क्रीनिंग के माध्यम से जन्मजात
विकारों की आशंका कम की जा सकती है और आईवीएफ एक
सुरक्षित एवं नियंत्रित प्रक्रिया के रूप में अपनाई जाती है। साथ ही, आईवीएफ की सफलता दर भी महिला की उम्र, अंडाणु-शुक्राणु की गुणवत्ता, हार्मोनल संतुलन और जीवनशैली जैसे कारकों पर निर्भर
करती है। डॉ. सौजन्य अग्रवाल ने सभी इच्छुक
दंपतियों से आग्रह किया कि वे भ्रांतियों से दूर होकर सटीक जानकारी प्राप्त करें
और विशेषज्ञों से परामर्श लेकर मातृत्व के अपने सपनों को साकार करें।
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