मेरठ। मयूर विहार स्थित प्रो. सुधाकराचार्य त्रिपाठी के आवास पर भागवत की तपप्रधान छठे दिन की कथा हुई।कथा में कृष्ण रुक्मिणी विवाह, प्रधुम्न की जन्मकथा, रति व कामदेव का वृत्तान्त, रति का मायावती रुप में जन्म, सत्राजित व स्यमन्तक मणि की कथा, प्रसेनजित की मृत्यु, स्यमन्तक मणि की प्राप्ति, मुर राक्षस का वध व सोलह हजार रानियों से विवाह।
कृष्ण का रुक्मिणी को पारिजात का फूल देना, सत्यभामा का नाराज होना, कृष्ण भगवान का इन्द्र को पराजित कर पारिजात वृक्ष लाकर सत्यभामा को देना। तपस्या करने का अधिकारी व्यक्ति माला पहनने से, तीर्थयात्रा या जप करने से नहीं होता। पांचो विषय मन, बुद्धि व अहंकार को वश में रखना ही तप है नाकि इनके वश में रहना। इसके अतिरिक्त नारदजी द्वारा कृष्ण भगवान के वैभव का दर्शन, युधिष्ठर द्वारा राजसूय यज्ञ करना, जरासन्ध से भीम का द्वन्द्व युद्ध, हस्तिनापुर में पांडवों द्वारा भव्यमहल का निर्माण, शिशुपाल का वध, भगवान द्वारा देवकी वसुदेव को उनके मरे हुये पुत्रों का दर्शन दिलाना। यदुकुल को श्राप मिलना और यादवों के नाश आदि की कथा हुई। मंगलवार को निमि का संवाद, भूमि का ह्रास और मार्कण्डेय की कथा होगी।
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