Saturday, July 5, 2025

इमाम हुसैन की कुर्बानी हमें धैर्य, दृढ़ता और सच्चाई पर जमे रहने की शिक्षा देती है: मौलाना बाकरी

 



-इमाम बारगाह छोटी कर्बला में अशरा-ए-मुहर्रम की नौवीं मजलिस में अली असगर का झूला हुआ बरामद

नित्य संदेश ब्यूरो

मेरठ 9 मुहर्रम को शहर की सभी इमाम बारगाहों में मजलिसों और मातम का सिलसिला अपने अंतिम चरण में पहुंच गया आशूरा का दिन करीब आ गया, तो सभी अज़ाखानों में अलविदाई मजलिसें हुई।

लाला बाजार स्थित इमामबारगाह छोटी कर्बला में अशरे को खिताब करते हुए मौलाना सैयद अब्बास बाकरी ने "उस्वा ए हुसैनी" शीर्षक के तहत मजलिस को संबोधित किया। कहा कि "आज की रात, वह रात है जो इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके वफादार साथियों और समर्थकों ने कर्बला में इबादत में गुजारी थी। हमें भी इस रात को इबादत, गम और मातम में गुजारना चाहिए। मौलाना ने आगे कहा, इमाम हुसैन (अ.स.) की कुर्बानी हमें धैर्य, दृढ़ता और सच्चाई पर जमे रहने की शिक्षा देती है, इसलिए इमाम हुसैन और उनके समर्पित साथियों की महान कुर्बानी को न केवल याद किया जाना चाहिए, बल्कि हमें उनके बताए रास्ते पर अडिग होकर आगे बढ़ना चाहिए। शनिवार को हुई आखिरी मजलिस में मौलाना ने दुखों के बीच इमाम हुसैन (अ.स.) की कुर्बानी, उनके 6 महीने के नवजात बेटे हजरत अली असगर की क्रूर शहादत और यजीद सेना की बेरहमी को बयान किया, जिसने मासूम बच्चे पर भी दया नहीं की।



बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने शिरकत की

मजलिस में अली असगर का झूला बरामद हुआ। अकीदतमंदों ने हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) को उनके 6 माह के बच्चे की शहादत का पुरसा दिया। मजलिस में सोज ख्वानी जाहिद हुसैन ने की और पेशख्वानी वारिस रजा और फखरी मेरठी ने की। अंजुमन ए इमामिया ने नोहा ख्वानी और मातम किया। नमाज ज़ौहरैन के बाद मौलाना शब्बर हुसैन खाँ ने अजा खाना शाह कर्बला वक्फ मंसबिया में खिताब किया। मजलिस में मौलाना ने हजरत अब्बास (अ.स.) की बहादुरी और वफादारी का वर्णन किया। बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने शिरकत की और नम आंखों से हजरत फातिमा को हजरत अब्बास का पुरसा दिया।


अज़ाखानों में जाग कर गुजारी

मुहर्रम कमेटी की मीडिया प्रभारी डॉ. इफ्फत जकिया ने बताया, "मगरिब की नमाज के बाद सभी इमामबारगाहें आशूरा की रात के लिए खोल दी गईं। हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) की शहादत की रात को मातम मनाने वालों ने जागकर इमाम हुसैन (अ.स.) की याद में रोते-बिलखते और मातम करते हुए अज़ाखानों में जाग कर गुजारी।"

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