नित्य संदेश।
ओम अनादि, अनंत है, सृष्टि का यही विस्तार,
शिव परमेश्वर की *ओम* ध्वनि सर्वमंत्र आधार।
हे शिव! ओंकार स्वरूप में नमन बारंबार....!!!
नाग कंठहार, त्रिपुरारी नटराज, भाल त्रिनेत्र धार,
चीर दिशाएं *न* से प्रकटे नील लोहित भस्मधार।
हे शिव! नित्य स्वरूप में नमन बारंबार....!!!
मंदाकिनी से अभिषेक, अंग प्रत्यंग चंदन चर्चित,
वृषांक भूतेश्वर *म* से प्रकटे, मदारपुष्प से पूजित।
हे शिव! माधुर्य स्वरूप में नमन बारंबार....!!!
शुभकारी, अरुणोदय रूप, उमापति अर्धनारीश्वर,
दक्ष यज्ञ विनाशक, गिरीश *शि* से प्रकटे विश्वेश्वर।
हे शिव! शक्तिपति रूप में नमन बारंबार....!!!
वरद ऋषिमुनि सेवित, देवपूजित, शंभु विख्यात,
व्योमकेश, विरूपाक्ष, *वा* से प्रकटे विश्व व्याप्त।
हे शिव! व्यापी स्वरूप में नमन बारंबार...!!!
यतिराज, यज्ञेश, त्रिशूल धार जटाएं शोभायमान,
शाश्वत अमरनाथ *य* से प्रकटे योगेश्वर भगवान।
हे शिव! योगीन्द्र स्वरूप में नमन बारंबार...!!!
पंचाक्षर जप से शिव को हर्षाएं, उर आनंद छाए,
प्राणी सुख-समृद्धि पाए, अंत में शिवलोक जाए।
हे शिव! *ओम नमः शिवाय* से नमन बारंबार!!!
सपना सी.पी. साहू 'स्वप्निल'
इंदौर (म.प्र.)
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