अनम शेरवानी
नित्य संदेश, मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विवि के वैलनेस सेंटर के द्वारा "मानसिक स्वास्थ्य सहायता और कल्याण के लिए क्षमता बढ़ाना" विषय पर पंद्रह दिवसीय कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के समापन सत्र के मुख्य अतिथि सुभारती मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. पवन पाराशर रहे। उन्होंने कहा कि युवाओं को तनाव एवं अवसाद से बचाने में शिक्षकों की अहम भूमिका है। अपने संबोधन में डा. पाराशर ने कहा कि आज युवाओं को सबसे अधिक तनाव एवं अवसाद कि समस्याओं से ग्रसित पाया जा रहा है। इसका मुख्य कारण सामाजिक, पारिवारिक, आर्थिक एवं पियर समूह का दबाव आदि है इसलिए शिक्षकों को चाहिए कि वे विद्यार्थियों के भीतर अवसाद एवं तनाव के लक्षणों की प्रारंभिक स्तर पर ही जांच अथवा पहचान करके उन्हें इससे बाहर निकलने में सहायता करें।
इस दौरान वैलनेस सेंटर के अध्यक्ष डॉ राहुल बंसल ने आध्यात्मिकता पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी तरह के तनाव एवं अवसाद से बाहर निकलने में आध्यात्मिक चेतना का बहुत अधिक महत्व है। उन्होंने कहा कि जब हम स्वयं तनाव एवं अवसाद से दूर रहेंगे तो दूसरों को भी इससे अधिक कारगर तरीके से बाहर निकलने में मदद कर पाएंगे। डा. राहुल ने व्याख्यान में आध्यात्मिक समन्वय एवं अच्छी पुस्तकों की जीवन में भूमिका पर विस्तार से चर्चा की एवं उनसे संबंधित उपयुक्त उदाहरण भी प्रस्तुत किए।
सुभारती मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग की मनोचिकित्सक डॉ सीमा शर्मा ने तनाव एवं अवसाद के विभिन्न चरणों व उनके लक्षणों की पहचान एवं उनके द्वारा होने वाली समस्याओं के बारे में विस्तृत रूप से बताया। इस दौरान डा. सीमा ने विभिन्न विद्यार्थियों के साथ प्राप्त हुए अनुभव भी साझा किए।उन्होंने अपने व्याख्यान में आत्महत्या के अग्रिम लक्षणों को कैसे पहचाने एवं आत्महत्या से बचाव के बारे में विस्तार से चर्चा की ।
होम साइंस विभाग की एसोशिएट प्रोफेसर डा. शालू मेहरा ने “काउंसलिंग तकनीकें और कॉग्निटिव डिस्टॉर्शन” विषय पर प्रभावशाली व्याख्यान प्रस्तुत किए। उन्होंने प्रतिभागियों को काउंसलिंग की विभिन्न विधियों, उनके व्यावहारिक उपयोग तथा मानसिक स्वास्थ्य में इन तकनीकों की महत्ता पर विस्तृत जानकारी दी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कॉग्निटिव डिस्टॉर्शंस की पहचान और उन्हें सुधारने की रणनीतियां भी साझा की।
सोशल साइंस व आर्ट्स कॉलेज की सहायक प्रोफेसर, डॉ. किरन रानी पंवार ने मोबाइल फोन की लत से उत्पन्न हो रही मानसिक, सामाजिक और शारीरिक समस्याओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे अत्यधिक स्क्रीन टाइम चिंता, तनाव, नींद की कमी तथा एकाग्रता में बाधा उत्पन्न करता है। उन्होंने प्रतिभागियों को काउंसलिंग थैरेपी के माध्यम से आत्मनिरीक्षण, भावनात्मक संतुलन एवं सकारात्मक जीवनशैली अपनाने के उपाय भी सुझाए। उन्होंने एक ध्यान क्रिया भी कराई जिससे कि मानसिक स्वास्थ्य को और बेहतर किया जा सके।
कार्यशाला के अंत में डा राहुल बंसल और डा सीमा शर्मा ने एक रोल प्ले प्रस्तुत किया जिसमें डॉ सीमा शर्मा ने एक थैरेपिस्ट काउंसलर की और डॉ राहुल बंसल ने पारिवारिक क्लेश में मानसिक दबाव से जूझ रहे व्यक्ति का अभिनय किया । इसमें काउंसलिंग के दौरान सकारात्मक या नकारात्मक शैली का चित्रण किया गया।
कार्यक्रम के समापन के अवसर पर कम्युनिटी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. पवन पाराशर, वैलनेस सेंटर के अध्यक्ष डॉ राहुल बंसल , सह-अध्यक्ष डॉ.नागाराजु कामार्थी, सचिव डॉ. स्वाति गुप्ता एवं डॉ. सरताज अहमद ने कार्यशाला एवं प्रशिक्षण के सभी प्रतियोगियों क्रमशः डॉ. सारिका त्यागी, डॉ. रिजुल रंजन, राम प्रकाश तिवारी, डॉ. मोहिनी मित्तल, डॉ. कपिल रस्तोगी, डॉ. उजमा, डॉ. ज्योति मधुर, डॉ. श्रेया पंवार, डॉ. रीबा देवी, प्रोफेसर मनु एम., स्मृति, डॉ. नीरू सिंह, डॉ. अश्वनी कुमार, प्रगति जैन, इंजी. राजेश परिहार, डॉ. पल्लबी मुखर्जी, डॉ. अर्चिता भटनागर, डॉ. अर्पणा काम्बोज आदि को प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में विमल कुमार , मशरूल अहमद और प्रदीप कुमार ने सहयोग दिया।
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