नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। भारत में बीमा लेना अब
आम हो गया है, पर सही सुरक्षा मिल रही
है या नहीं, इस पर बजाज कैपिटल इंश्योरेंस ब्रोकिंग लिमिटेड की नई रिपोर्ट
सुरक्षा कवच रिपोर्ट 2025 ने बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
बजाज कैपिटल इंश्योरेंस ब्रोकिंग लिमिटेड के जॉइंट चेयरमैन और एमडी संजिव बजाज
ने कहा,
रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे देश में बीमा का मतलब सिर्फ
पॉलिसी लेना बनकर रह गया है, न कि सही कवरेज पाना। 61 प्रतिशत शहरी परिवार मानते हैं कि अगर
एक बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ जाए, तो उनके वित्तीय हालात
हिल सकते हैं, भले ही उनके पास कुछ बीमा हो. कामकाजी महिलाओं में से सिर्फ 1 में से 5 के पास अपने नाम की
जीवन बीमा पॉलिसी है। श्री बजाज ने कहा
कि बीमा मौत या बीमारी की आशंका नहीं, गरिमा की गारंटी है। यह आपके परिवार के विकल्प बचाता है, मुसीबत
में सिर्फ उम्मीद नहीं, योजना दे सकता है।
सीईओ वेंकटेश नायडू ने कहा, भारत बीमा ले तो रहा है, पर सतह पर। यह रिपोर्ट
बताती है कि जानकारी और सही एक्शन के बीच बड़ी खाई है। हमें बीमा को सलाह, तकनीक और पारदर्शिता से
जोड़ना होगा। जेन ज़ेड की 83 प्रतिशत आबादी रिसर्च तो करती है, लेकिन उनमें से केवल 36 प्रतिशत ने ही बीमा लिया है और जो टर्म बीमा लिया गया है, वह भी अक्सर 30-50 प्रतिशत तक कम है, जितना वाकई जरूरी होता
है। तो असल दिक्कत कहां है?
जेन ज़ेड और बीमा का टालमटोल रवैयाः इन्वेस्टमेंट करते हैं एसआईपी, म्यूचुअल फंड, ट्रेडिंग, लेकिन
बीमा? बाद में कर लेंगे। 62 प्रतिशत जेन ज़ेड मानते
हैं कि बीमा जरूरी तो है, पर अभी नहीं।
महिलाएं और बीमा की उलझनें: 64 प्रतिशत कामकाजी
महिलाओं को बीमा बहुत जटिल लगता है 61 प्रतिशत मामलों में बीमा उनके लिए किसी और ने लिया, उन्होंने खुद नहीं।
अमीर भी गलतफहमी में: 25 लाख$ कमाने वाले लोग अक्सर
सिर्फ ऑफिस की ग्रुप पॉलिसी पर निर्भर होते हैं, जो नौकरी बदलते ही खत्म
हो जाती है, जबकि उनकी आय बढ़ती है 5-8 गुना, बीमा कवरेज सिर्फ 2.5 गुना तक।
ग्रामीण भारत की कहानी: सरकारी योजनाएं जैसे पीएमजेजेबीवाई और पीएमएसबीवाई
ज़रूर हैं, लेकिन लोगों को ये नहीं
पता कि क्लेम कैसे किया जाए, या क्या-क्या कवर होता है।
रिपोर्ट 5 अहम मुद्दों पर रोशनी
डालती है: महंगाई बनाम बीमा की पर्याप्तता, जेन ज़ेड का टालमटोल, महिलाओं की बीमा
भागीदारी, ग्रामीण-शहरी अंतर, एआई और ट्रस्ट का
रिश्ता याद रखने वाली बात: बीमा पॉलिसी होना मतलब सुरक्षा नहीं, जब
तक वो आपकी जरूरत के हिसाब से पूरी हो। रिपोर्ट हमें बताती है कि अब वक्त है बीमा
को सिर्फ उत्पाद नहीं, एक जागरूक, सलाह आधारित और
भरोसेमंद अनुभव बनाने का।
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