-पूर्व शिक्षा मंत्री रशीद मसूद से लेकर पूर्व एमएलसी
डा. सरोजनी अग्रवाल तक
नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। पूर्व एमएलसी डॉ. सरोजिनी अग्रवाल के मेडिकल कॉलेज
और आवास पर सीबाईआई की रेड ने फिर से पुरानी यादों को ताजा कर दिया है। भारत के मेडिकल सिस्टम की अंदरूनी कहानी बहुत पुरानी है। सफ़ेद कोट की स्याही पर लगे दाग नए नहीं हैं, इसकी शुरूआत होती है,
पूर्व शिक्षा मंत्री रशीद मसूद से। 1990 का
दशक, केंद्र में स्वास्थ्य राज्य मंत्री थे रशीद मसूद। देश के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा के छात्रों के लिए मेडिकल की 26 आरक्षित
सीटें थीं, लेकिन वे सीटें मसूद साहब ने अपने भतीजे, बेटी और करीबियों को दे दीं, जो उस राज्य से थे ही नहीं, मेरिट में भी नहीं थे।
2013 में कोर्ट ने उन्हें भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और साजिश का दोषी माना और 4 साल की सज़ा सुनाई। वे पहले सांसद बने, जिन्हें सज़ा के चलते संसद से बाहर होना पड़ा। ये कहानी तब की है, जब केंद्र में वीपी सिंह की
सरकार थी। और ये बीमारी तब भी वहीं थी, मेडिकल शिक्षा में भ्रष्टाचार। अब टाइम मशीन से 35 साल आगे चलिए 2025 और स्थान मेरठ। किरदार के रूप में हैं डॉक्टर सरोजिनी अग्रवाल, यानि
मेरठ की सबसे रसूखदार महिला नेता। कभी समाजवादी पार्टी की ताक़त थीं, फिर बीजेपी में आकर भी एमएलसी बनीं। ख़ुद डॉक्टर, समाजसेवा और शिक्षा के क्षेत्र
में गहरी पैठ है। उनका मेडिकल कॉलेज, प्रशासनिक, सियासी और आर्थिक ताक़त का गढ़ अब सुर्खियों में है। सीबीआई ने उनकी
सबसे छोटी बेटी, जो खुद एक डॉक्टर हैं, के खिलाफ मेडिकल फर्जीवाड़े के
केस में शिकंजा कसा है। आरोप है कि कॉलेज में नियमों को
तोड़ा गया, फर्जीवाड़े से फैकल्टी दिखा
मान्यता ली गई, अनियमितताएं की गईं। टाइमलाइन जो सब कुछ कहती है, 1990 त्रिपुरा सीट घोटाला रशीद
मसूद (स्वास्थ्य राज्य मंत्री), 2013 दोषसिद्धि
और बर्खास्तगी रशीद मसूद, 2025 सीबीआई जांच,
मेडिकल सीट फर्जीवाड़ा और डॉ. सरोजिनी अग्रवाल
की बेटी। "साल बदले, सरकारें बदलीं, चेहरे बदले, लेकिन सिस्टम नहीं"।
1990 में भी मेडिकल सीटें सिफारिश से मिलती थीं, 2025 में भी मेडिकल कॉलेजों में सीटें 'सेटिंग' से बिक रही हैं। एक समय में यह काम मंत्री करते थे, अब यह काम उनके स्वयं के
संस्थानों में उनके परिवार के लोग करते हैं। तब भी छात्रों का हक छीना गया था, और आज भी ऐसा ही है, जैसा पहले
था। "ये सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, ये पीढ़ियों के भरोसे की लाश है" जब डॉक्टर बनना सेवा नहीं, सौदा बन जाए।
छत्तीसगढ़ में तीन डॉक्टरों सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया
हाल ही में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)
ने मेडिकल कॉलेजों में सीट बेचने और मान्यता के लिए रिश्वतखोरी के मामलों में कई
राज्यों में छापेमारी की है। यह कार्रवाई मुख्य रूप से मेडिकल कॉलेजों द्वारा
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) से मान्यता प्राप्त करने के लिए अनियमितताओं और
रिश्वत देने के आरोपों पर आधारित है। प्रमुख मामलों में देखा जाए तो रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नया रायपुर (छत्तीसगढ़), सीबीआई ने 55 लाख रुपये की रिश्वत के लेन-देन
के दौरान तीन डॉक्टरों सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया। आरोप है कि मेडिकल कॉलेज
को 250 सीटों की मान्यता दिलाने के लिए
निरीक्षण प्रक्रिया में हेरफेर किया गया।
कई राज्यों के 40 से अधिक ठिकानों पर की छापेमारी
छत्तीसगढ़, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश में 40 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की गई। जांच में फर्जी
फैकल्टी नियुक्ति, काल्पनिक मरीजों का रिकॉर्ड और
बायोमेट्रिक हेरफेर जैसे गंभीर आरोप सामने आए हैं। इंदौर का इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, सीबीआई ने
कॉलेज और इसके संचालक सुरेश भदौरिया के कार्यालय व घर पर छापेमारी की। मान्यता
रिन्यू कराने के लिए फर्जीवाड़ा और रिश्वत देने के आरोप हैं। अन्य मामले: 2022 में नीट-यूजी परीक्षा में 20 लाख रुपये प्रति सीट बेचने का रैकेट सामने आया, जिसमें 8 लोग गिरफ्तार हुए।
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