नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। मयूर विहार स्थित प्रो. सुधाकराचार्य त्रिपाठी के आवास पर भागवत की छठे दिन की व्रतकथा हुई।
प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि कृष्ण द्वारा व्रत के दो रुप मिलते हैं। पहला गोकुल के गोपालों की रक्षा का व्रत, दूसरा कंस के वध के बाद द्वारिका में युद्ध लड़कर सबकी रक्षा का व्रत।आज की कथा में इन्द्र के वज्रपात करने पर गोवर्धन पर्वत उठाकर बाल गोपालों की रक्षा करना, नन्द की अजगर से रक्षा, रुक्मिणी से विवाह, प्रद्युम्न का जन्म, प्रद्युम्न और मायावती (रति) की कथा, शम्बरासुर का वध, कामदेव की कथा, व्रत का विधान, पार्वती द्वारा शिव भगवान की प्राप्ति के लिए व्रत का विधान, नारद को कृष्ण भगवान द्वारा लीला दर्शन, आत्मस्वरुप का वर्णन, उद्धव का हस्तिनापुर गमन, कृष्ण द्वारा पाण्डवों की रक्षा का व्रत,युधिष्ठर द्वारा राजसूय यज्ञ करना, इन्द्रप्रस्थ का निर्माण, पाण्डवों का वनवास,अर्जुन और सुभद्रा का विवाह, कृष्ण सुदामा का वृत्तान्त, ऋषियों द्वारा यदुकुल को श्राप आदि का वर्णन हुआ।
No comments:
Post a Comment