नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। अमेरिका द्वारा भारत के साथ टैरिफ समझौते में कृषि और डेयरी कृषि क्षेत्र में अमेरिकी कारपोरेट घरानों का प्रवेश का रास्ता खोल देने से भारत के किसानों की रीढ़ की हड्डी टूट जाएगी। इस सम्बन्ध में भारतीय किसान यूनियन इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप तितौरिया ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कृषि व डेयरी को इस समझौते में शामिल नहीं करने की मांग की है।
ऐसा प्रतीत होता है कि भारत द्वारा अमेरिका के आगे घुटने टेक दिए गए है। भारत और अमेरिका के मध्य टैरिफ की समयवाधि 9 जुलाई 2025 को समाप्त हो जाएगी और दोनों देशों के मध्य इस सम्बन्ध में चर्चा का दौर चल रहा है, जो अपने अंतिम चरण में है। यदि इस समझौते में कृषि और डेयरी क्षेत्र को शामिल किया जाता तो भारतीय किसानों की कमर टूट जाएगी। भारतीय किसान पहले ही फसलों के उचित दाम, मौसम व सरकार द्वारा कोई सहयोग न मिलने से परेशान है और भाजपा की केन्द्र सरकार किसी न किसी बहाने काले कानून लागू करने को तत्पर है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह भाजपा सरकार की सोची समझी साजिश है, इसके बहाने केन्द्र सरकार किसान विरोधी काले कानून लागू करना चाहती है। भाजपा की किसान विरोधी सरकार किसानों को मजदूर बना देना चाहती है। अमेरिका का किसान खुशहाल है, क्योंकि वहां की सरकार किसान को सब्सिडी देती है। ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ पूंजीपतियों के दबाव में व उन्हें खुश करने के लिए सरकार यह सब कार्य कर रही है। यदि कृषि व डेयरी क्षेत्र को शामिल करती है तो भारतीय किसान यूनियन इंडिया इसके विरुद्ध आंदोलन करने हेतु मजबूर हो जाएगी।
No comments:
Post a Comment