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Friday, July 4, 2025

भारतीय ज्ञान प्रणाली एक प्राचीन और समृद्ध ज्ञान परंपरा: प्रोफेसर रवि सक्सेना



नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। शहीद मंगल पाण्डे राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय माधवपुरम एवं न्यूक्लियस ऑफ़ लर्निंग एंड डेवलपमेंट के संयुक्त तत्वाधान में गूगल मीट का आयोजन किया गया। जिसके माध्यम से आयोजित “भारतीय ज्ञान प्रणालियाँ: मार्ग और प्रक्षेप पथ “ विषयक दस दिवसीय सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम के नवम दिवस विशेषज्ञ वक्ता के रूप में ‌‌प्रोफेसर रवि सक्सेना के द्वारा, "अतीत, वर्तमान और भविष्य को आकार देती : भारतीय ज्ञान प्रणाली क्या, क्यों और कैसे है" विषय के ऊपर अपना विश्लेषण प्रस्तुत किया गया। 

कार्यक्रम की शुरुआत में न्यूक्लियस ऑफ़ लर्निंग एंड डेवलपमेंट संस्थान की ओर से डॉ. निधि सेनदुर्निकर एवं डॉ विकास राजपूत ने कार्यक्रम की संक्षिप्त रूपरेखा, उद्देश्य व लक्ष्य समस्त के साथ साझा किये। कार्यक्रम संयोजक प्रो. लता कुमार ने मुख्य वक्ता, आयोजन से जुड़े सभी अधिकारियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। तत्पश्चात आज के सत्र् के मुख्य वक्ता प्रोफेसर रवि सक्सेना, ज्योति दलाल स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स, NMIMS डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी, मुंबई ने अपने गहन और प्रभावशाली व्याख्यान में भारतीय ज्ञान प्रणाली के महत्व, प्रासंगिकता और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला l वक्ता ने बताया कि भारतीय ज्ञान प्रणाली एक प्राचीन और समृद्ध ज्ञान परंपरा है, जो अतीत, वर्तमान और भविष्य को आकार देती है। यह प्रणाली विभिन्न विषयों में ज्ञान प्रदान करती है, जैसे कि दर्शन, विज्ञान, कला, और संस्कृति।भारतीय ज्ञान प्रणाली विविध और समृद्ध है, जिसमें विभिन्न विषयों और शाखाओं का समावेश है। इसके मूल स्रोत वेद, उपनिषद, और अन्य प्राचीन ग्रंथों में पाए जाते हैं। भारतीय ज्ञान प्रणाली आध्यात्मिक और दार्शनिक है, जो जीवन के अर्थ और उद्देश्य को समझने के लिए विभिन्न दृष्टिकोण प्रदान करती है।

उन्होंने बताया कि भारतीय ज्ञान प्रणाली हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमारी पहचान और संस्कृति को आकार देती है। हमें विभिन्न विषयों में ज्ञान और समझ प्रदान करती है, जो हमारे जीवन को समृद्ध और अर्थपूर्ण बनाती है। भारतीय ज्ञान प्रणाली आधुनिकता और प्रासंगिकता के साथ जुड़ी हुई है, जो वर्तमान समय में भी प्रासंगिक है और हमारे जीवन को प्रभावित करती है। इसका भविष्य आधुनिकीकरण, नवाचार, और वैश्विक प्रासंगिकता के साथ जुड़ा हुआ है। व्याख्यान के अंतिम चरण में प्रतिभागियों द्वारा मुख्य वक्ता के साथ विचार विमर्श किया गया।कार्यक्रम के अंत में डॉ० भारती शर्मा ने सभी प्रतिभागियों, अतिथियों और वक्ता का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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