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Friday, July 25, 2025

25 दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत: मरीज़ को मेडिकल कॉलेज में मिला नया जीवन


नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। मेडिकल कॉलेज में एक मरीज़ को 25 दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद नया जीवन मिला। कहते हैं कि माँ बनने का सफर कठिन हो सकता है, पर कभी-कभी यह संघर्ष जीवन-मरण की लड़ाई में बदल जाता है। एक ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है। 

लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के टैली आईसीयू में भर्ती रही 27 साल की एक नवप्रसूता महिला की, जो लगभग 25 दिन तक वेंटिलेटर के पर रहने के बावजूद भी जिंदगी की जंग को जीत गई और आज चलने-फिरने लगी हैं। डिलीवरी के कुछ ही दिनों बाद महिला को गंभीर संक्रमण व किडनी फेल्योर की शिकायत हुई और उन्हें बेहोशी की हालत में एक निजी अस्पताल से मेरठ मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। वहाँ उन्हें 8 मई 25 को डॉ. आभा गुप्ता (आचार्य, मेडिसिन विभाग) की टीम के नेतृत्व में इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया। 

मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए मरीज को मेडिसिन विभाग की टेली आईसीयू में शिफ्ट कराया गया और वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया। टेली आईसीयू के इंचार्ज व मेडिसिन विभाग के आचार्य डॉ अरविंद कुमार बताते हैं कि टैली आईसीयू की टीम ने दिन रात एक करके मरीज की पूरी तरीका से देखभाल की और अच्छे से अच्छा इलाज दिया। लगभग 1 महीने के समय में विभिन्न तरह के विशेषज्ञों की सलाह ली गई, जैसे न्यूरो फिजिशियन डॉ दीपिका सागर व स्त्री रोग विभाग के डॉक्टर्स तथा एसजीपीजीआई लखनऊ के विशेषज्ञों से भी टैली आईसीयू के राउंड के समय सलाह ली गई। 

इस तरह लगभग 25 दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद मरीज के स्वास्थ्य में सुधार वापस होने लगा। मरीज की चेतना लौट आई, पर शरीर की ताक़त जाती रही। उन्हें क्रिटिकल इल्लनेस पॉलीन्यूरोपैथी (Critical Illness Polyneuropathy) हो गई थी, जिससे उनका पूरा शरीर जैसे पैरालाइज हो गया। लेकिन टीम ने हार नहीं मानी। उपयुक्त दवाई, फिजियोथेरेपी व पोषण के माध्यम से तथा सटीक इलाज के द्वारा महिला ने धीरे-धीरे हाथ-पैर हिलाना शुरू किया, फिर बैठना सीखा और अब सहारे से चलने लगी हैं। डॉक्टरों के मुताबिक़, यह एक दुर्लभ और प्रेरणादायक रिकवरी है। अब महिला को लगातार फॉलोअप के लिए OPD में लाया जा रहा है, और हर बार उनके स्वास्थ्य में सुधार देखकर डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ भी भावुक हो जाते हैं।

“डॉ. आभा गुप्ता ने कहा कि यह केवल चिकित्सा नहीं, मरीज़ की इच्छा-शक्ति और परिवार के विश्वास की भी जीत है,” प्राचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने बताया कि डॉक्टर और मरीज़ मिलकर नामुमकिन को मुमकिन बना सकते हैं। साथ ही साथ उन्होंने कहा कि फ़िजियोथेरेपी और सकारात्मक सोच में चमत्कारी शक्ति होती है।

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