नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 करोड रुपए छात्रवृति
गबन के मामले में आरोपित उपप्रधानाचार्य फुरकान व प्रबंधक असलम को जमानत दे दी है। मुंडाली
क्षेत्र के जिसौरी स्थित मदरसा मोहम्मदिया
प्राइमरी स्कूल में 3,37,000 गबन का उन पर आरोप था।
कोषाध्यक्ष अज़रा (मदरसा
न्यू डीएम पब्लिक स्कूल) पर 10,95,650 रुपये के गबन का आरोप था।
उपाध्यक्ष शमशाद (मदरसा उस्मानिया अरबिया उलउलूम) पर 2,48,000 रुपये गबन आरोप था, इसी प्रकार अन्य आरोपी
सलीमुद्दीन, समर जहां, सफीकुल हसन, मोहम्मद कासिम, सैयद जफर मेहंदी की
जमानत मंजूर कर ली गई है। यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन ने याचीगण की ओर से अधिवक्ता
सुनील चौधरी को सुनकर दिया है।
अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बताया कि मेरठ जिले में वर्ष 2010-11 में छात्रवृत्ति वितरण
में मदरसा में पढ़ रहे छात्रों के 3 करोड रुपए छात्रवृति अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम, वरिष्ठ सहायक संजय
त्यागी ने 99 मदरसों में
छात्रवृति का वितरण मदरसों के खाते में भेजकर भौतिक सत्यापन
कराकर तत्कालीन सीडीओ द्वारा पारित आदेश पर अधिकारियों की मौजूदगी में नगद वितरण
कराया था। आरोप है कि अधिकारी, वरिष्ठ सहायक ने सभी मदरसा के प्रबंधक, प्रधानाचार्य व अध्यापक से मिलीभगत कर 3 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति हड़प कर लिया, जिस पर 99 एफआईआर मेरठ जिले में
दर्ज कराई गई थी। अधिवक्ता सुनील चौधरी
ने कहा, आज तक किसी मदरसे की किसी छात्र-छात्राओं/माता पिता ने कोई भी शिकायत
छात्रवृत्ति न मिलने की नहीं की है। सरकार की ओर से दाखिल
जवाब में किसी भी गबन का आरोप साबित नहीं हो पाया है,
विवेचना अधिकारी ने बिना बच्चों व तत्कालीन सीडीओ, छात्रवृति वितरण में
मौजूद अधिकारियों का बयान लिए झूठे मुकदमे में फंसा कर चार्जशीट भ्रष्टाचार निवारण
अधिनियम के तहत दाखिल कर दी।
अपर शासकीय अधिवक्ता ने जमानत याचिका की विरोध किया। बताया
कि छात्रवृत्ति बच्चों के खातों में ना भेजकर मैनेजमेंट के खाते में भेजी गई,
अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी व उसके बाबू की मिली भगत से ये हुआ।
मदरसा संचालकों, प्रधानाचार्य, अध्यापकों से मिली भगत कर छात्रवृत्ति 3 करोड़ रुपए हड़प
लिए गए, जबकि भारत सरकार की गॉइड लाइन के अनुसार बच्चों
के खातों में सीधे छात्रवृति भेजी जानी थी, नियम का उल्लंघन हुआ है। याची अधिवक्ता ने बताया
कि वर्ष 2010-11 में बच्चों के खातों
में सीधे छात्रवृत्ति भेजने का कोई भी आदेश सरकार के द्वारा स्पष्ठ रूप से नहीं
पारित किया गया था। गाजियाबाद, सहारनपुर, हमीरपुर में आरटीआई
रिपोर्ट के आधार पर यह पता चलता है कि प्रदेश के अन्य जिलों के मदरसा में
आई छात्रवृत्ति को नगद वितरण कर छात्रवृति रजिस्टर पर फोटो लगाते हुए हस्ताक्षर
कराया गया था और नगद वितरण के दौरान मौजूद अधिकारी ने भी रजिस्टर पर अपने
हस्ताक्षर किया था।
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