नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। संस्कृत भारती द्वारा आयोजित हो रहे प्रबोधन एवं प्रशिक्षण वर्ग में छात्र-छात्राओं को समृद्ध भारतीय ज्ञान परंपरा से परिचित कराते हुए संस्कृत भारती के अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख श्री श्रीष देव पुजारी ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि वर्तमान में उच्च शिक्षा में क्रियान्वयन सामान्य गति से चल रहा है। किंतु शालेय शिक्षा राज्य सरकारों के हाथों में होने के कारण वहां यह गति धीमी पड़ जाती है, होना तो यह चाहिए कि परिवर्तन नीचे से आरंभ होकर ऊपर तक जाए, विशेषकर भारतीय भाषाओं को लेकर प्रशासनिक आधिकारियों का रवैया अभी भी पहले जैसा ही है ।
अभी भी सीबीएसई बोर्ड से संबंधित विद्यालयों में अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ फ्रेंच जर्मन आदि विदेशी भाषाओं की पढ़ाई प्रमुखता से चल रही है, जो की नई शिक्षा नीति की मूल भावना के विपरीत है । नवोदय विद्यालय यद्यपि केंद्र सरकार के अधीन है, वह भी त्रिभाषा सूत्र नहीं ला पाए हैं । राज्य सरकारों के अधीन जो शिक्षा है उनमें संस्कृत भाषा शिक्षकों के प्रशिक्षण को उन्होंने किनारे कर दिया है । डायट में संस्कृत अध्यापकों की नियुक्ति अधिकांश स्थानों पर नहीं है । मांग करने पर भी पदों को सृजित करने और रिक्त पदों को भरने में सरकार के हाथ पांव फूल जाते हैं । कुल मिलाकर मानव संसाधन विकास को छोड़कर बाकी सभी भौतिक विकास हो रहे हैं । इसलिए संस्कृत भारती मांग करती है कि भारतीय ज्ञान परंपरा विषय को आगे बढ़ाने के लिए स्नातक प्रथम वर्ष से गौण (माइनर) विषय के रूप में ही क्यों ना हो, संस्कृत की पढ़ाई होनी चाहिए, जिससे अपने विषय के अध्ययन के साथ-साथ संस्कृत का अध्ययन होने के कारण भारतीय ज्ञान के आधार पर शोध करने के लिए अधिक छात्र प्रयुक्त हो । इस कार्य को साधने के लिए संस्कृत अध्यापकों की नियुक्ति हो । वर्ग में छात्र-छात्राएं खेल-खेल में आनंद के साथ संस्कृत संभाषण सीख रहे हैं । वर्ग को सफल बनाने के लिए श्री देवेंद्र पण्डया, योगेश विद्यार्थी, गौरव, डॉ भूपेंद्र, डॉ नरेंद्र तेवतिया, संदीप, डा राजमणि, कुलदीप मंदौला, गिरीश तिवारी, नीलकमल, देवेंद्र शर्मा, रूद्र, विनीत आदि का सहयोग है ।
No comments:
Post a Comment