नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय एवं लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के संयुक्त तत्वाधान में बृहस्पति भवन में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर आर सी गुप्ता, कुलानुशासक प्रोफेसर वीरपाल सिंह, प्रोफेसर रमेश बिजलानी, डॉक्टर ललित चौधरी, प्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा, प्रोफेसर राकेश कुमार शर्मा, प्रोफेसर नीलू जैन गुप्ता ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित किया।
संगोष्ठी के प्रथम सत्र में दिल्ली एम्स के रिटायर्ड प्रोफेसर रमेश बिजलानी ने बताया, भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहां है कर्म तीन प्रकार के होते हैं सात्विक, राजसिक और तामसिक। आगे प्रकाश डालते हुए पतंजलि योग सूत्र के अनुरूप कर्म चार प्रकार के बताए गए हैं। कृष्ण कर्म, शुक्ल कर्म, कृष्ण कर्म शुक्ल कर्म, दोनों मिश्रित कर्म जो की सामान्य मनुष्य करता है। योगीयो के लिए अशुक्ल अकृष्ण कर्म का विधान बताया है। आनंद हॉस्पिटल के डॉक्टर संजय जैन अस्थि रोग विशेषज्ञ होते हुए भी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के माध्यम से रोगियों का उपचार करते हैं। उन्होंने योग और आयुर्वेद दोनों को समाहित करते हुए धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष मानव जीवन के चार पुरुषार्थ को साधने के लिए स्वस्थ शरीर एवं स्वस्थ मस्तिष्क के लिए आधुनिक युग में योग का महत्व बताया। मोरारजी देसाई दिल्ली से डॉक्टर इंदु शर्मा ने योगासन का अभ्यास करते हुए महर्षि पतंजलि रचित अष्टांग योग यम, नियम, आसन, प्राणायाम ,प्रत्याहार, धारणा, ध्यान ,समाधि एवं चित्र वृत्त निरोध के उपाय बताएं।
संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में डॉक्टर तुंगवीर आर्य ने मन को शांत करने के चार उपाय मैत्री, करुणा ,मुदित(खुशी), उपेक्षा के द्वारा मनुष्य प्रसन्न रह सकता है। योग विज्ञान विभाग की पूर्व छात्रा एवं ध्यान की शिक्षिका रिशु जैन ने ध्यान की प्रस्तुति दी। विद्यार्थियों के साथ पैनल चर्चा के द्वारा उनके अनुभव साझा किए। योग विज्ञान विभाग के विद्यार्थियों द्वारा योग की मनमोहक प्रस्तुत की गयी जीन्हे देखकर सभी ने दांतों तले अंगुलीया दबाली।
प्रोफेसर जमाल अहमद सिद्दीकी, प्रोफेसर वैशाली पाटिल, डॉक्टर धर्मेंद्र कुमार, अमरपाल आर्य, डॉक्टर नवजोत सिद्धू, रमिता सिंह, राखी सिंह, सत्यम कुमार, अंजु मलिक,कमल शर्मा, साक्षी, ईशा पाटेल, अभिषेक आदि मौजूद रहे।
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