Friday, May 16, 2025

पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर हड़ताल थोपने और औद्योगिक अशांति का वातावरण बनाने का आरोप


एनर्जी टास्क फोर्स की मीटिंग में निजी घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए किए गए संशोधन: निजीकरण के विरोध में वर्क टू रूल जारी
         
नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। संघर्ष समिति ने पावर कारपोरेशन के प्रबंधन पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बनाने और शांतिपूर्वक आंदोलनरत बिजली कर्मियों पर जबरदस्ती हड़ताल जैसी स्थिति थोपने का आरोप लगाया है। निजीकरण के विरोध में आज लगातार तीसरे दिन पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारियों का वर्क टू रूल आंदोलन जारी रहा। बिजली कर्मचारियों ने सायं 5:00 बजे सभी जनपदों और परियोजनाओं पर निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया।
       
संघर्ष समिति ने कहा कि पता चला है कि आज हुई एनर्जी टास्क फोर्स की मीटिंग में निजी घरानों को मदद पहुंचाने की दृष्टि से ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 में कुछ संशोधन किए गए हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 अभी तक पब्लिक डोमेन में नहीं आया है और न ही इस पर केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने सभी स्टेक होल्डर्स की आपत्ति मांगी है। ऐसे में इस ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के आधार पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ना पूर्णतया असंवैधानिक है।
          
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों इं कृष्ण कुमार साराश्वत, इं निखिल कुमार, इं निशान्त त्यागी, इं प्रगति राजपूत, कपिल देव गौतम, जितेन्द्र कुमार, दीपक कश्यप, प्रदीप डोगरा आदि ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन और शीर्ष प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि वे निजीकरण के विरोध में शांतिपूर्वक लोकतांत्रिक ढंग से आंदोलन कर रहे बिजली कर्मचारियों पर हड़ताल थोपना चाहती है। उन्होंने कहा कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन ने प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को भेजे गए पत्र में शांतिपूर्वक आंदोलन को हड़ताल बताते हुए हड़ताल से निपटने की तैयारी के आदेश दिए हैं। चेयरमैन ने इस पत्र में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति पर तमाम अनर्गल आरोप लगाए हैं। संघर्ष समिति का कहना है कि चेयरमैन द्वारा जिला अधिकारियों को भेजे गए इस प्रकार के पत्र और कल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अभियंताओं को धमकी भरे अंदाज में संबोधित किया जाना बहुत ही भड़काऊ है और अनावश्यक तौर पर औद्योगिक अशांति उत्पन्न करने वाला कदम है।
        
संघर्ष समिति ने कहा कि चेयरमैन ने इस पत्र में लिखा है कि वर्ष 2025 - 26 में 56000 करोड रुपए का घाटा होने वाला है। जबकि पावर कारपोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग को सौंप गए ए आर आर में वर्ष 2025-26 में 9206 करोड रुपए के घाटे का उल्लेख किया है। इस प्रकार पावर कारपोरेशन के चेयरमैन समस्त जिला अधिकारियों, पुलिस प्रशासन और प्रदेश को गुमराह कर रहे हैं।
       
संघर्ष समिति ने कहा कि उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों का निजीकरण न तो कर्मचारियों के हित में है और न ही आम उपभोक्ताओं के हित में। उन्होंने बताया कि निजीकरण होने के बाद आम उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरों में कम से कम तीन गुना की वृद्धि होने वाली है। उत्तर प्रदेश में बिजली की अधिकतम दरें रुपए 6.50 प्रति यूनिट है। जबकि निजी क्षेत्र में मुंबई में बिजली की दरें 17 से 18 रुपए प्रति यूनिट, कोलकाता में निजी क्षेत्र में 12 से 15 रुपए प्रति यूनिट और दिल्ली में निजी क्षेत्र में 10 से 12 रुपए प्रति यूनिट तक है। सरकारी क्षेत्र के लिए बिजली एक सेवा है और निजी क्षेत्र के लिए बिजली एक व्यवसाय है। स्वाभाविक है कि निजीकरण के बाद बिजली की दरों में भारी वृद्धि होनी ही है।
       
संघर्ष समिति ने निजीकरण के बाद कर्मचारियों की सेवा शर्तों के बारे में पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन पर गुमराह करने का आरोप लगाया है। संघर्ष समिति ने कहा कि चेयरमैन कह रहे हैं कि निजीकरण के बाद बिजली कर्मियों के सामने तीन विकल्प होंगे। पहला विकल्प होगा कि वे निजी क्षेत्र की नौकरी ज्वाइन कर ले। दूसरा विकल्प होगा कि वे शेष बचे विद्युत वितरण निगमों में वापस आ जाए। तीसरा विकल्प होगा वे स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेकर घर चले जाए। संघर्ष समिति ने कहा कि पहले विकल्प का मतलब है सरकारी क्षेत्र की नौकरी करने वाले बिजली कर्मी निजी क्षेत्र के कर्मी बन जाए। इससे बिजली कर्मियों की सेवा शर्तें सीधे-सीधे प्रभावित होंगी। वे रातों रात निजी क्षेत्र के प्रबंधन के दायरे में आ जाएंगे और निजी क्षेत्र की एच आर नीति के तहत उन्हें काम करना पड़ेगा। दिल्ली और उड़ीसा में निजी क्षेत्र की नौकरी ज्वाइन करने वाले बिजली कर्मियों में से लगभग आधे बिजली कर्मियों को एक साल के अंदर-अंदर जबरिया सेवानिवृत्ति लेकर घर जाना पड़ा है। संघर्ष समिति ने सवाल किया कि यदि निजी क्षेत्र में सेवा शर्तें प्रभावित नहीं होती तो इतने बड़े पैमाने पर बिजली कर्मियों को सेवा निवृत्ति लेकर घर क्यों जाना पड़ा ?
       
चेयरमैन द्वारा बताए गए दूसरे विकल्प कि शेष बचे विद्युत वितरण निगमों में वापस आ जाए पर प्रतिक्रिया देते हुए संघर्ष समिति ने कहा कि शेष बचे विद्युत वितरण निगमों में वापस आने पर लगभग 26500 नियमित सेवा कर्मचारी सरप्लस हो जाएंगे। सरप्लस होने पर इन्हें कहां समायोजित किया जाएगा। स्वाभाविक है निजीकरण के बाद इन 26500 नियमित बिजली कर्मचारियों की नौकरी खतरे में होगी। लगभग 50000 संविदा कर्मी तो निजीकरण होते ही तत्काल हटा दिए जाएंगे। पावर कार्पोरेशन प्रबंधन इसी दृष्टि से निजीकरण होने के पहले ही लगभग 45% संविदा कर्मचारियों को नौकरी से हटा रहा है।
      
चेयरमैन ने तीसरा विकल्प यह दिया है कि बिजली कर्मी स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेकर घर चले जाएं। उन्होंने बड़े तैश में बोला है कि स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेने के लिए कोई आयु सीमा नहीं है। संघर्ष समिति ने सवाल किया कि अगर 5 साल या 10 साल की नौकरी का बिजली कर्मचारी स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेकर घर जाएगा तो उसे कहां नौकरी मिलेगी ? भीख का कटोरा लेकर सड़क पर खड़े होने के अलावा उसके सामने और क्या विकल्प बचेगा ?
       
वर्क टू रूल आंदोलन के तीसरे दिन आज बिजली कर्मचारियों ने कार्यालय समय के दौरान ही कार्य किया। कार्यालय समय के बाद बिजली कर्मचारियों ने प्रबंधन का पूरी तरह से बहिष्कार किया। कार्यालय समय के बाद बिजली कर्मचारियों ने कोई काम नहीं किया किंतु यह ध्यान रखा कि बिजली आपूर्ति बाधित न हो और उपभोक्ताओं को किसी प्रकार की तकलीफ न हो।
      
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने दृढ़ता पूर्वक कहा कि बिजली कर्मचारी शांतिपूर्वक आंदोलनरत हैं, अपने आंदोलन के दौरान बिजली कर्मी आम उपभोक्ताओं को कोई तकलीफ नहीं होने देंगे, चेयरमैन पॉवर कॉरपोरेशन अनावश्यक उत्तेजना फैलाकर कार्य का वातावरण खराब न करें। बिजली कर्मचारी किसी बहकावे में नहीं आने वाले हैं। बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे और यह शांतिपूर्ण आंदोलन कब तक जारी रहेगा जब तक निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया जाता।
          
निजीकरण के विरोध में वर्क टू रूल आंदोलन के साथ आज जनपद मेरठ में विद्युत जानपद मण्डल प्रांगण, ऊर्जा भवन कार्यालय मेरठ में कार्यालय समय उपरांत हुई विरोध सभा में सभी बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद की | वर्क टू रूल आगामी 19 मई तक चलेगा।



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