सपना सीपी साहू
नित्य संदेश, इंदौर। वामा साहित्य मंच के निर्देशन में लेखिका निरुपमा त्रिवेदी की मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी से प्रथम कृति अनुदान में चयनित पथ उजियारा काव्य संग्रह का लोकार्पण व चर्चा का आयोजन हुआ। सर्वप्रथम, सुमधुर सरस्वती वंदना मनोरमा जोशी मनु ने प्रस्तुत की। वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष ज्योति जैन ने कार्यक्रम में पधारे मंचासीन अतिथियों, आयोजन में सम्मिलित सभी जन का स्वागत शब्दपुष्पों से किया।
लेखिका निरुपमा त्रिवेदी की पुत्री नितीशा द्विवेदी ने लेखिका मां के प्रति अपनी संवेदनाओं को प्रकट करते हुए उनको अपना पथ प्रदर्शक बताया। इस कृति के विषय में लेखिका निरुपमा ने बताया कि ‘पथ उजियारा’ काव्य संग्रह में मेरी कविताएं वास्तव में मेरे अंतर्मन की अनुभूतियों और भावों के पुष्प हैं। जिस प्रकार दीपक अंधियारे को दूर कर प्रकाश प्रदान करता है उसी प्रकार मेरे हृदय के उद्गार काव्य के रूप में अभिव्यक्त होकर मेरे जीवन पथ में उजियारा भरते रहे हैं ।
चर्चाकार डाॅ. गरिमा दुबे ने कृति व कृतिकार के विषय में कहा साहित्य पथ प्रदर्शक का कार्य करता है, जब लेखक लिखना प्रारंभ करता है तो उसके सामने एक अंधेरी दुनिया होती है, किंतु लेखन और कोई भी कला उस प्रकाश का स्त्रोत है। पुस्तक का शीर्षक इस बात की घोषणा करता है कि लेखिका के हाथ वह प्रकाश लग चुका है और आगे की डगर अब उसी प्रकाश के सानिध्य में सुगम और सफल होगी। इस काव्य संग्रह में जहां से भावों, संवेदनाओं, मनुष्य जीवन, प्रकृति और मानवीय संबंधों को वे अच्छे तरीके से देख सके। कविताएं सहज, सरल भाषा के साथ हैं और अपनी संप्रेषणीयता में पूर्णतः सफल हैं।
मुख्य अतिथि डाॅ. पद्मा सिंह ने उद्धबोधन में साहित्य सत्यम शिवम सुंदरम की त्रिवेणी है। लेखक ईश्वर प्रकृति और मानवीय संवेगों के बीच रागात्मक संबंध जोड़ता है। कवि का मूल धर्म है आस्था की ज्योत जलाए रखना, शब्द को नया संस्कार देना और भटकी हुई मानवता को सही राह दिखाना। सार्थक लेखन वह होता है जिसमें समय की धड़कन शामिल होती है। निरुपमा जी ने प्रकृति, मौसम, त्यौहार, गांव, मां, पिता, नर, नारी जैसे विषयों पर केंद्रित करके लिखा है। इन कविताओं में कहीं प्रणय का आमंत्रण है, कहीं अभिलाषाएं हैं, तो कहीं सागर सा गहरा जीवन का चिंतन भी है। आजादी के दीवानों का आत्मोत्सर्ग, सैनिकों का बलिदान और महान देश भक्तों पर भी निरुपमा जी ने कलम चलाई है। साहित्य जगत में "पथ उजियारा" का स्वागत हो और इसे सुधि पाठकों की सराहना मिले यही शुभकामनाएं हैं।
अध्यक्षता कर रहे साहित्य अकादमी के निदेशक डाॅ. विकास दवे ने पथ उजियारा पर विचार रखे कि लेखिका को साहित्य परिवार से रक्त संचार, अध्यात्म, संस्कार, स्वभाव के रूप में बाल्यावस्था से ही मिला है और ऊपर से उनका शिक्षिका होना निश्चित ही ऐसी उजास भरी कविताओं का सृजन करवाता है। रचनाओं में जब देशज शब्द आते है तो वह समृद्धकारी होने के साथ स्वतः ही पथ पर उजियारा फैलाते है। निरुपमा जी ने हुतात्माओं, पर्यावरण चेतना, श्रंगार और प्रेम, लोकतांत्रिक सम्मान, स्त्री पुरुष विमर्श, किन्नर विमर्श पर और शिक्षकों के प्रति जो सकारात्मकता और सम्मान प्रकट किया है उससे कविताएं उम्दा बन पड़ी है। पाठक जब पढ़ेंगे तो जरूर भावानात्मक रूप जुड़ेगे।
अश्विनी साजापुरकर (प्राचार्य तीरथबाईं कलाचंद विद्यालय), अमित त्रिवेदी, शिल्पा खरोनकर, विनीता जैन, अनिल त्रिवेदी, आलोक रंजन त्रिपाठी तथा संपादक मुकेश इंदौरी को भी मंच पर सम्मानित किया गया। अतिथियों का स्वागत नितीशा त्रिवेदी, करुणा प्रजापति, संजय त्रिवेदी, आशा मुंशी, वंदना दुबे, दामिनी सिंह ठाकुर, मीनाक्षी पौराणिक, अनुपमा गुप्ता, सोनिका त्रिवेदी, मृदुला शर्मा ने किया। सभी वामा सखियों ने लेखिका को उनके संग्रह पथ उजियारा के लिए स्वस्तिकामनाएं प्रदान की। संचालन प्रीति दुबे ने किया और आभार श्रेयांश त्रिवेदी ने माना।
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