नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल
उप्र के प्रान्तीय अध्यक्ष लोकेश कुमार अग्रवाल सोमवार को खाद्यय सुरक्षा एवं मानक
अधिनियम के सहायक आयुक्त ग्रेड-2
से मिले। मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और खाद्य सुरक्षा एवं मानक
अधिनियम के अन्तर्गत की जा रही कार्यवाही से व्यापारियों को आ रही कठिनाइयों के निराकरण के लिए निम्नानुसार मांग की।
व्यापारियों का दस सूत्रीय मांग
पत्र
1. खेती में कीटनाशक व रासायनिक खाद डालने का मानक तय
नहीं है। अंधाधुंध कीटनाशक व रासायनिक खादों का प्रयोग खेती में किया जा रहा है।
सिंचाई के लिए प्रयोग किये जाने वाला जल पूरी तरीके से दूषित हो चुका है, जिससे हमारे यहॉ के खेती
से प्राप्त होने वाले खाद्ययान में रासायन व कीटनाशक भारी मात्रा में पाए जा रहे
हैं, जिससे कैंसर जैसी घातक
बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है। परन्तु खाद्यय सुरक्षा मानक अधिनियम के मानकों में
बदलाव नहीं किया गया है। अतः आपसे अनुरोध है कि वर्तमान परिस्थिति के अनुसार
खाद्यय पदार्थों के मानक तय किये जायें तथा कृषि विभाग को खेती में प्रयोग होने
वाले कीटनाशक व रासायनिक खाद के मानक तय करने के लिए लिखा जाए। जब तक नए सिरे से
मानक तय नहीं किये जाते हैं। व्यापारियों के सैम्पिल न भरे जाएं।
2. सभी प्रकार खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में
रजिस्टेज्शन के लिए 12 लाख तक के टर्न ओवर की सीमा तय की गई है, परन्तु 12 लाख रूपये की
सीमा मंहगाई के हिसाब से बहुत कम है। अतः आपसे अनुरोध है कि 12 लाख टर्न ओवर के
स्थान पर 40 लाख वार्षिक टर्न ओवर तक का काम करने वाले व्यापारियों की रजिस्टेज्शन
की सीमा में रखा जायें।
3. खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में फूड एक्ट का
लाइसेंस न पाए जाने पर सजा का प्राविधान खत्म किया जाये। जुर्माना अधिकतम
रजिस्टेज्शन व लाइसेंस फीस का दोगुना किया जाये।
4. प्रशासनिक अधिकारी अपर जिला मजिस्ट्रेट आदि को
न्याय निर्णयक अधिकारी राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किये गये हैं। प्रशासनिक
अधिकारी प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं, जिससे न्याय निर्णय में समय लगता है। समय लगने से
व्यापारी उत्पीड़न को बढ़ावा मिलता है तथा तकनीकी जानकार न होने के कारण प्रशासनिक
अधिकारी मात्र अधिकतम जुर्माना वसूल करना चाहते हैं वह वाद को गुण दौषों के आधार
पर तय करने की इच्छा नहीं रखते। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (फूड एक्ट) के
लिये पूर्णकालिक न्याय निर्णायक अधिकारी की नियुक्ति की जानी आवश्यक है, जिससे व्यापारी को शीघ्र
न्याय मिल सके।
5. खाद्य पदार्थों की पैकिंग की आईटम में रिटेल का
व्यापारी कोई मिलावट या कमी नहीं कर सकता है एवं का खाद्य सुरक्षा एवं मानक
अधिनियम में दिये गये पैकिंग एण्ड लेवलिंग एक्ट के कानूनों को पूरा करने में रिटेल
व थोक के व्यापारी का कोई योगदान नहीं है। पैकिंग कम्पनियों द्वारा तैयार कर भेजी
जाती है, जिसमें रिटेल का व्यापारी
कोई मिलावट या पैकिंग में कोई संशोधन नहीं कर सकता है। न्याय निर्धारण अधिकारी
द्वारा कम्पनियों के साथ-साथ रिटेल व थोक के व्यापारियों को भी दण्डित किया जा रहा
है। अतः आपसे अनुरोध है कि पैकिंग के सामान में किसी भी प्रकार की कमी पाई जाने पर
सिर्फ पैकिंग करने वाले फर्म या कम्पनी को ही दोषी माना जाए, होलसेलर व रिटेलर को
दण्डित न किया जाये।
6. वर्तमान समय में भारी मात्रा में खाद्य पदार्थों
का व्यापार ऑनलाइन फूड चेन सप्लाई व मल्टी नेशनल कम्पनियों के द्वारा किया जा रहा
है, परन्तु ऑनलाइन फूड सप्लाई
के डिलीवरी करने वाले व्यक्तियों के पास फूड लाइसेंस नहीं है। अतः आपसे अनुरोध है
कि सभी ऑनलाइन व फूड चेन सप्लाई डिलीवरी करने वाले व्यक्यिों के खाद्य सुरक्षा एवं
मानक अधिनियम के नियमों के अनुसार रजिस्टैज्शन व लाइसेंस बनवाये जाने के आदेश
पारित करने की कृपा करें।
7. खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा मल्टी नेशनल
कम्पनी व फूड सप्लाई चेन के डिलीवरी होने वाले सामानों की सैम्पलिंग नहीं की जा
रही है। अतः आपसे अनुरोध है कि ऑनलाइन फूड सप्लाई चेन की सैम्पलिंग भी नियमानुसार
की जाये, जिससे आम जनता को सही
सामान मिलना सुनिश्चित हो सके।
8. खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में निर्माताओं से
ऑनलाइन सालाना व छमाही रिटर्न मॉगी जा रही है। निर्धारित समय पर जमा न करने पर रू0
100 प्रतिदिन लेट फीस लगाई जा रही है,
जिन व्यापारियों की पूर्व में रिटर्न जमा नहीं है, उन पर भारी जुर्माना
लगाया जा रहा है। रिटर्न जमा करने पर पिछला मांगा जा रहा जुर्माना समाप्त करने के
आदेश पारित करने की कृपा करे एवं कुटीर घरेलू व मझौले उद्योग इसकी पूर्ति न कर
पाने के कारण नष्ट हो जाएंगे। अतः आपसे अनुरोध है कि 5 करोड़ तक टर्न ओवर वाले
निर्माताओं से ऑनलाइन सालाना व छमाही रिटर्न की व्यवस्था समाप्त करने की कृपा
करें।
9. खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के सभी मामलों को
अदालतों में भेजा जा रहा है। एक्ट में दी गई धारा-69 के अनुसार अधिकांश मामलों को
शमन शुल्क जमा कराकर समाप्त किया जा सकता है। अधिकांश सभी विभागों में भी अनावश्यक
मुकदमें आदि से बचने के लिए शमन शुल्क जमा कर मुकदमा समाप्त करने की व्यवस्था की
गई है। शमन शुल्क व्यवस्था लागू करने से सरकार पर भी अनावश्यक मुकदमों के बोझ का
भार कम होगा। अतः अभिहीत अधिकारी कार्यालय में शमन शुल्क जमा कराने की व्यवस्था
लागू की जाए।
10. प्रत्येक जिले में अनकों रजिस्टेज्शन अधिकारी हैं, जिन्हें फील्ड का काम भी
करना होता है। अतः आपसे अनुरोध है कि प्रत्येक जिले में एक ही रजिस्टेज्शन
अर्थोरिटी नियुक्त करने की कृपा करें। रजिस्टेज्शन अधिकारी को फील्ड का कार्य न
दिया जाए।
No comments:
Post a Comment