समयपूर्व जन्मे शिशुओं को लेकर आईएमए हाल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। आरुण्या फाउंडेशन के तत्वाधान में उद्गम – एक नई शुरुआत” का एक दिवसीय कार्यशाला का आई एम ए हाल में किया गया । आयोजन संस्था की अब तक की यात्रा और आने वाले समय में दृष्टिबाधा (Blindness) की रोकथाम के लिए किए जाने वाले प्रयासों का प्रतीक रहा।
कार्यक्रम का मुख्य केंद्र रहा प्रोजेक्ट नन्हीं आँखें जो समयपूर्व जन्मे शिशुओं में होने वाली रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी (ROP) जैसी गंभीर बीमारी से बचाव के लिए कार्यरत है। इस परियोजना का उद्देश्य देशभर में नवजात शिशुओं की आँखों की समय पर जाँच सुनिश्चित करना और अंधेपन से बचाना है।कार्यक्रम में एक सामाजिक नाटक भी प्रस्तुत किया गया, जिसने दर्शकों के हृदय को गहराई से छू लिया। नाटक ने यह संदेश दिया कि अंधापन केवल दृष्टि नहीं, जीवन की रोशनी छीन लेता है और समय पर जांच एवं जागरूकता से इसे रोका जा सकता है।
इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश तकनीकी सहायता विभाग के अध्यक्ष डॉ विभोर जैन एवं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के नेत्र रोग विभाग के अस्सिटेंट प्रोफेसर डॉ सुमित ग्रोवर गणमान्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे । उन्होंने कहा कि अंधापन केवल दृष्टि नहीं, जीवन की रोशनी छीन लेता है। इस विषय पर जागरूकता करने की बहुत आवयकता है। काफी लोगों को पता नहीं होता कि उनके नवजात बच्चे में आंखों की बीमारी हो सकती है अगर शुरूआत में आंखों की जांच करा ली जाए तो नवजात को अंधेपन से बचाया जा सकता है।
आरुण्या फाउंडेशन की संचालक, शहर की वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ कीर्ति जैन ने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि यह प्रयास न केवल एक प्रोजेक्ट है, बल्कि समाज की आँखों में नई उम्मीद जगाने वाली पहल है।फाउंडेशन का यह पहला सार्वजनिक आयोजन है, जिसमें लगभग 40 लोगों की टीम ने सक्रिय रूप से सहयोग किया।
डॉ कीर्ति जैन ने बताया कि आने वाले समय में “नन्हीं आँखें” परियोजना को और अधिक जनपदों में विस्तारित किया जाएगा, ताकि कोई भी बच्चा अंधेपन की अंधेरी दुनिया में न जाए।कार्यक्रम में शहर के कई जाने-माने चिकित्सक,व्यापारी गन ,समाजसेवी, स्वयंसेवक और अभिभावकों ने भाग लिया।
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