Sunday, October 26, 2025

जाति आधारित आर्मी : भारत की एकता के लिए खतरे की घंटी



नित्य संदेश। भारत एक महान राष्ट्र है — विविधता में एकता इसकी सबसे बड़ी पहचान है। यहाँ अनेक धर्म, भाषाएँ, संस्कृतियाँ और परंपराएँ हैं, फिर भी “हम सब भारतीय हैं” का भाव हमें एक सूत्र में बाँधता है। किंतु हाल के वर्षों में जो प्रवृत्ति उभर रही है — जाति या समुदाय के नाम पर बनाई जा रही निजी सेनाएँ या संगठन — वह इस एकता की जड़ में दीमक की तरह लग रही है।

 *एक राष्ट्र — एक सेना*

भारतीय सेना सिर्फ एक है, और उसका नाम है — इंडियन आर्मी: यह सेना धर्म, जाति या भाषा के आधार पर नहीं, बल्कि देशभक्ति, अनुशासन और राष्ट्रीय अखंडता के आधार पर खड़ी है। हर जवान का धर्म केवल भारत माता है, उसका पंथ सिर्फ कर्तव्य है, और उसका उद्देश्य केवल राष्ट्र रक्षा है। लेकिन जब कुछ संगठन या राजनीतिक दल जाति आधारित सेना या सामाजिक सुरक्षाबल के नाम पर अपने निजी गुट बना रहे हैं, तो यह सीधे-सीधे राष्ट्र की एकता पर प्रहार है। यह प्रवृत्ति न केवल संविधान की भावना के विपरीत है, बल्कि गृहयुद्ध जैसी स्थिति की नींव भी रख सकती है।

 *सरकार की जिम्मेदारी*
सरकार को इस दिशा में तुरंत कठोर कदम उठाने चाहिए।
जो भी राजनीतिक दल या सामाजिक संगठन अपनी जातीय सेना या सुरक्षा संगठन चला रहे हैं, उन पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। भारत में सुरक्षा की जिम्मेदारी केवल राज्य और केंद्र सरकार के अधीन संस्थाओं की होनी चाहिए — न कि निजी समूहों की। यह समय की पुकार है — यह बाध्यता नहीं, बुद्धिमत्ता है। अगर आज हमने रोक नहीं लगाई, तो कल यही जातीय संगठन हथियारबंद टकराव और हिंसा के केंद्र बन सकते हैं।

 संविधान और जनसंख्या की बदलती संरचना
संविधान एक जीवंत दस्तावेज है। समय और समाज की बदलती परिस्थितियों के अनुसार इसमें सुधार और संशोधन आवश्यक हैं। आज भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, और उसकी सामाजिक संरचना भी बदल रही है। इसलिए संविधान में ऐसे सुधार की आवश्यकता है, जिससे हर नागरिक को समान अवसर मिले — जाति, धर्म या भाषा के भेद के बिना।

जातीय पहचान की दीमक
आज जब हम डिजिटल युग में आगे बढ़ रहे हैं, तब भी जाति के नाम पर समाज को बाँटना शर्मनाक है। किसी भी फोन, फॉर्म या दस्तावेज़ में जाति का कॉलम नहीं होना चाहिए।
हमारी पहचान सिर्फ इतनी होनी चाहिए — “मैं भारतीय हूँ।”

जातीय विघटन एक दीमक की तरह है, जो धीरे-धीरे हमारी सामाजिक एकता और राष्ट्रीय नींव को खोखला कर रहा है। जब तक यह दीमक खत्म नहीं होती, तब तक भारत का सशक्त भविष्य संभव नहीं।

भारत को एकजुट, सशक्त और सुरक्षित बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि —

* हर प्रकार की जाति आधारित सेना या संगठन पर प्रतिबंध लगे।
* “एक राष्ट्र — एक आर्मी” की नीति को संवैधानिक रूप से सशक्त किया जाए।
* संविधान में बढ़ती जनसंख्या और सामाजिक यथार्थ के अनुरूप सुधार हो।
* डिजिटल और सरकारी दस्तावेज़ों से “जाति कॉलम” समाप्त किया जाए।

जब हर भारतीय अपने को सिर्फ “भारतीय” समझेगा, तभी भारत वास्तव में वसुधैव कुटुंबकम् के आदर्श पर खड़ा हो सकेगा।
एक भारत, श्रेष्ठ भारत — यही समय की पुकार है।

प्रोफेसर (डॉ.) अनिल नौसरान
संस्थापक — साइक्लोमेड फिट इंडिया 

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