Friday, September 12, 2025

कमर दर्द का हर कारण डिस्क नहीं, जानें नॉन-डिस्कोजेनिक कमर दर्द के लक्षण और इलाज



नित्य संदेश ब्यूरो

मेरठ: कमर दर्द की सबसे आम वजह डिस्क प्रोलैप्स मानी जाती है, लेकिन हर कमर दर्द का कारण डिस्क की समस्या नहीं होता। जब दर्द रीढ़ की हड्डी या शरीर के अन्य हिस्सों से उत्पन्न होता है, तो इसे नॉन-डिस्कोजेनिक कमर दर्द कहा जाता है। इस दर्द के सही कारणों को समझना समय पर निदान और प्रभावी उपचार के लिए बेहद ज़रूरी है।


यह दर्द कई रीढ़ संबंधी और नॉन-रीढ़ संबंधी स्थितियों के कारण हो सकता है। रीढ़ से जुड़े कारणों में फेसट जॉइंट डिस्फंक्शन, सैक्रोइलियक जॉइंट की समस्या, मांसपेशियों या लिगामेंट की चोट, स्पॉन्डिलोलाइसिस और स्पॉन्डिलोलिस्थीसिस, स्पाइनल कैनाल स्टेनोसिस, तथा रीढ़ में संक्रमण या ट्यूमर शामिल हैं। वहीं, नॉन-रीढ़ संबंधी कारणों में आंतरिक अंगों की बीमारियाँ (जैसे किडनी संक्रमण, पैंक्रियाटाइटिस, एंडोमेट्रियोसिस, कैंसर आदि), पिरिफॉर्मिस सिंड्रोम, बर्साइटिस, हिप से जुड़ी बीमारियाँ, मोटापा आदि आते हैं। ये सभी स्थितियाँ कमर में दर्द उत्पन्न कर सकती हैं और इसके लिए विस्तृत जांच आवश्यक होती है।


मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के न्यूरोसर्जरी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर एवं हेड ऑफ यूनिट डॉ. कपिल जैन ने बताया कि* ह्लनॉन-डिस्कोजेनिक कमर दर्द के लक्षण कारण पर निर्भर करते हैं। आमतौर पर यह दर्द पीठ, जांघों या पैरों तक महसूस हो सकता है और गतिविधि करने पर बढ़ जाता है। सुबह उठने पर पीठ में जकड़न होना और दिन बढ़ने के साथ धीरे-धीरे सुधार होना भी एक प्रमुख लक्षण है। सटीक निदान के लिए विस्तृत क्लिनिकल मूल्यांकन के साथ-साथ एक्स-रे, एमआरआई, सीटी स्कैन या आवश्यक रक्त जांच की जाती है। केवल लक्षणों के आधार पर निष्कर्ष निकालना सही नहीं है। ज्यादातर मामलों में यह दर्द बिना सर्जरी के नियंत्रित किया जा सकता है। 

उपचार का उद्देश्य दर्द कम करना, सूजन घटाना और सामान्य कार्यक्षमता को बहाल करना होता है। इसके लिए जीवनशैली में सुधार जैसे नियमित व्यायाम, धूम्रपान छोड़ना, संतुलित आहार और वजन नियंत्रित रखना लाभकारी है। साथ ही योग, मेडिटेशन जैसी तकनीकें भी लंबे समय तक दर्द से निपटने में मदद करती हैं। हालांकि, गंभीर मामलों में न्यूरोसर्जन द्वारा सर्जरी की सलाह दी जा सकती है।


नॉन-डिस्कोजेनिक कमर दर्द आम समस्या है, लेकिन अधिकांश मामलों में इसका इलाज संभव है। स्वयं उपचार करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे गंभीर बीमारियों का निदान देर से हो सकता है। सुरक्षित और सटीक इलाज के लिए विशेषज्ञ न्यूरोसर्जन से परामर्श लेना सबसे उचित कदम है।


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