Tuesday, September 9, 2025

नवोदित भारत के नव शिल्पी उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन

 
सपना सीपी साहू 
नित्य संदेश, इन्दौर। भारत में चौदहवें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को इस्तीफा दे दिया था। तब से अब 50 दिनों बाद 9 सितंबर 2025 को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा है।

देश को पंद्रहवें उपराष्ट्रपति के रूप में माननीय सी.पी. राधाकृष्णन मिले है। वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार, पूर्व राज्यपाल रहे है। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी विपक्षी इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के बड़े अंतर से हराया है। उन्हें 442 मत प्राप्त हुए जबकि बी. सुदर्शन रेड्डी को मात्र 300 मत प्राप्त हुए है। श्री राधाकृष्णन की यह जीत उनकी व्यापक लोकप्रियता और सर्वमान्य छवि का प्रमाण है। एक सुखद संयोग यह भी है कि हमारे देश के पहले उपराष्ट्रपति का उपनाम भी राधाकृष्णन था और अब पंद्रहवें उपराष्ट्रपति का उपनाम भी राधाकृष्णन है और दोनों तमिलनाडु से आते है। 

चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन, जिन्हें हम प्रेम से सी.पी. राधाकृष्णन के नाम से जानते हैं, इनका जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर में हुआ। वे मात्र 17 वर्ष की अल्पायु में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनसंघ से जुड़ने के साथ राष्ट्रसेवा के प्रति समर्पित हो गए। उन्होंने शिक्षा, राजनीति और सामाजिक कार्य हर क्षेत्र में स्वयं के क्रियाकलापों और निष्ठा से अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है। 

उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक और पॉलिटिकल साइंस में "सामंतवाद का पतन" विषय पर पीएचडी की, जो उनकी विद्वत्ता को दर्शाता है। कॉलेज के दिनों में वे एक उत्कृष्ट टेबल टेनिस खिलाड़ी भी थे, जिन्होंने खेल के मैदान में भी अपना लोहा मनवाया।

उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन का व्यक्तित्व ओजस्वी रहा है। उनका राजनीतिक सफर भी उपलब्धियों से भरा है। 1998-99 में वे कोयंबटूर से लोकप्रिय लोकसभा सांसद चुने गए। 1998 के बम धमाकों के बाद, जब कोयंबटूर शहर तनावग्रस्त था, उनकी जीत ने दक्षिण भारत में भारतीय जनता पार्टी को एक सशक्त और नई पहचान दी।

वे 2003 से 2006 तक तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के रूप में भी कार्य कर चुके है। इस दौरान उन्होंने 19,000 किलोमीटर की "रथ यात्रा" निकाली थी, जिसके प्रभाव से भारतीय जनता पार्टी की पहुंच दक्षिण भारत में घर-घर तक हुई। उन्होंने कोयर बोर्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया, और उनके नेतृत्व में कोयर निर्यात ने रिकॉर्ड वृद्धि हासिल की। इसके अलावा, झारखंड, तेलंगाना और पुडुचेरी के राज्यपाल के रूप में उनकी प्रशासनिक क्षमता की सराहना हो चुकी है। 

सी.पी. राधाकृष्णन विनम्रता और सौम्यता की प्रतिमूर्ति है। वे अपनी बेदाग और शांत छवि के लिए जाने जाते हैं। उनकी संघ की राष्ट्रवादी सोच के बावजूद, वे सभी राजनीतिक विचारधाराओं के नेताओं के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने में सफल रहे हैं। यह सर्वमान्य छवि उन्हें राज्यसभा के सभापति के रूप में एक प्रभावी और निष्पक्ष भूमिका निभाने में सहायता करेगी। 

हालांकि, इस भूमिका में उन्हें सदन के संचालन में नई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता है, विशेषकर जब विभिन्न राजनीतिक दल अपने विचारों को मुखरता से रखते हैं। उनका अनुभव और शांत स्वभाव इन चुनौतियों से निपटने में सहायक होगा। वे ओबीसी समुदाय से है। वे सामाजिक समावेश और राष्ट्रीय एकता के प्रबल पक्षधर हैं। उनका मानना है कि "सभी समुदायों को मिलकर ही देश का उत्थान संभव है।" जो सबका साथ, सबका विकास की नीति का पक्षकार तथ्य है। 

सी.पी. राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है और उनसे पूरे देश को एक गौरवशाली भविष्य की आशा है क्योंकि उनके पास चार दशकों का अनुभवी नेतृत्व है। जिससे वे राज्यसभा को सुचारू रूप से संचालित करने में सक्षम रहेंगे। उनका तमिलनाडु से होना भाजपा के एनडीए के लिए शुभ संकेत है। साथ ही दक्षिण भारत की आवाज को भी वे राष्ट्रीय पटल पर मजबूती से रखेंगे। उनका व्यक्तित्व सकारात्मक दृष्टिकोण से भरा है। उनका विकासोन्मुख और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण भारत को एकता और समृद्धि की दिशा में निश्चित ही आगे बढ़ाएगा।

हम सब उपराष्ट्रपति माननीय सी.पी. राधाकृष्णन को इस नई और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए अनंतकोटी बधाई देते हैं। हम सब भारतीयों को विश्वास है कि उनका नेतृत्व देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और वे स्वयं की नई भूमिका में भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक की भांति ही 'सेवा परम धर्म' से जनता की सेवा और समर्पण को सिद्ध करेंगे।

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