Wednesday, August 27, 2025

मेरठ मदरसों में छात्रवृत्ति गबन के आरोपियों की याचिका हुई खारिज

 


-दो मदरसों में हुआ था 3 करोड़ रुपए छात्रवृति का घोटाला, कोर्ट ने माना गंभीर अपराध

नित्य संदेश ब्यूरो

मेरठ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ में 3 करोड़ रुपए छात्रवृति गबन के मामले में आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। मदरसा उस्मानिया अरबिया उलउलूम मेवगढ़ी मजीदनगर के प्रिंसिपल शमशाद पर 248 बच्चों के 2,48,000 रुपये छात्रवृति गबन करने का आरोप है। मदरसा जियाउल कुरान परीक्षितगढ़, जिसमें शफीक उल हसन प्रधानाचार्य के ऊपर 440 छात्रों की 7,66,000 रुपये गबन का आरोप है जिन्होंने आरोप पत्र व तलब कि जाने के आदेश को 2 अलग-अलग याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी


न्यायमूर्ति समीर जैन ने याचीगण की ओर से अधिवक्ता अख्तर अली को सुनकर यह आदेश दिया अधिवक्ता अख्तर अली ने दलील दी कि उस समय 2010-2011 के छात्रवृत्ति गबन के मामले में कई एफआईआर हुई थी, जो कोर्ट के आदेश पर आपस मे समाहित हो गई। तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम व सहायक बाबू संजय त्यागी की देख-रेख में उनके निर्देश पर छात्रवृति का वितरण हुआ था। अधिवक्ता अख्तर अली ने दलील दी कि एक अन्य एफआईआर में हाइकोर्ट के आदेश पर तत्कालीन बाबू संजय त्यागी के विरुद्ध चल रही न्यायिक कार्यवाही पर रोक लगाई गई है, क्योंकि उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही पर हाइकोर्ट के आदेश पर रोक लगी है। उसी आधार पर याचीगण के विरुद्ध भी न्यायिक कार्यवाही पर रोक लगाई जाए और पूरे केस में कहीं भी कोई भी सबूत नहीं मिले, जिससे पता चल सके कि याचीगण ने कोई अपराध किया है, इसलिए आरोपपत्र व तलबी के आदेश को रद्द किया जाए।


पूरी छात्रवृत्ति गबन कर भ्रस्टाचार किया

सरकार की ओर से जवाब में अपर शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि याचीगण मदरसों में प्रिंसिपल थे, इसलि यह नहीं कहा जा सकता कि इन्होंने कोई अपराध नहीं किया है? विवेचना अधिकारी ने जांच में पाया कि याचीगण व अन्य अभियुक्तों ने बिना सत्यापन के छात्रवृत्ति गबन की नीयत से फर्जी वितरण दिखा कर छात्रों की पूरी छात्रवृत्ति गबन कर भ्रस्टाचार किया।


दोनों पक्षों को सुनकर न्यायालय ने सुनाया निर्णय

दोनों पक्ष को सुनकर न्यायालय ने निष्कर्ष में कहा कि आरोपियों के ऊपर बहुत ही गंभीर छात्रवृत्ति के गबन का आरोप हैविवेचना अधिकारी ने कई व्यक्तियों के बयान दर्ज किए, जिसमें पाया कि याचीगण बिना भौतिक व प्रपत्रों के सत्यापन किए हुए छात्रवृति का अन्य आरोपियों से मिलकर, जो सरकारी सेवक थे, छात्रवृत्ति का गबन किया है प्रथम दृष्ट्या यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपिगणों ने कोई अपराध नहीं किया है?


सरकारी सेवक को अपराधियों ने बनाया आधार

याचीगणों का कहना कि अन्य आरोपी संजय त्यागी, जो कि सरकारी सेवक है, उसकी न्यायिक कार्रवाई पर हाईकोर्ट के द्वारा रोक लगाई गई है, क्योंकि विभागीय कार्रवाई की अनुमति पर रोक लगी हुई है। इस आधार पर भी याचीगणों को कोई भी लाभ नहीं दिया जा सकता, क्योंकि याचीगणों के अनुमति का कोई भी मामला नहीं है।

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