अर्जुन देशवाल
नित्य संदेश, बहसूमा। सावन के महीने में हरियाली तीज का महिलाओं को बेसब्री से इंतजार रहता है। सावन माह में अपनी अलग पहचान रखने वाला त्यौहार हरियाली तीज को कस्बे व देहात क्षेत्र धूमधाम से मनाया गया।
इस त्यौहार पर हरा रंग, हरी चूड़ियां व मेहंदी का विशेष महत्व है। चूड़ियों की दुकान पर महिला हरी चूड़ियां पहनते देखी गई। हरियाली तीज पर कुंवारी कन्याओं ने भी उपवास रखा। हरियाली तीज के दिन सब जगह एक अलग ही रौनक होती है। हरियाली तीज पर झूला झूलने का रिवाज सदियों से चला आ रहा है। क्षेत्र में भी सजी-धजी महिलाओं ने गीत गाते हुए झूलों पर झूली। हरियाली तीज पर क्षेत्र में काफी रौनक देखने को मिली।
गांव में पेड़ों पर झूले डाले हुए नजर आई महिलाएं
महिलाओं में मस्ती का आलम देखते ही बन रहा था। झूला झूलते हुए गीत के रूप में झूला तो पड़ गए अम्बुआ की डाल पे जी पर महिलाओं ने खूब नृत्य किया। ग्रामीण क्षेत्र में झूला झूल रही महिलाओं ने बताया कि तीज का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं। पहले महिलाएं दामण पहनकर बड़े चाव के साथ एकत्रित होकर तीज का त्यौहार मनाती थी आज की पीढ़ी ऐसी तीज नहीं मनाती।चाव के साथ इस त्यौहार पर हलवा, कचौड़ी, गुलगुले बनाएं जाते हैं।
शिव पार्वती से मांगी सुख समृद्धि
इस दिन युवतियां और बच्चे सज धज कर हरे रंग के परंपरागत परिधान धारण करती हैं इस मौके पर सुहागिनें हाथों में मेहंदी लगाती है महिलाएं इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती से दुनिया में शांति, सुख, समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है।
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