नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। शुक्रवार 8 मुहर्रम को हजरत अब्बास (अ.स.) की याद में शहर की सभी इमामबारगाहों में मजलिस और मातम का सिलसिला जारी रहा।
इमामबारगाह "छोटी कर्बला" में आयोजित मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना सैयद अब्बास बाकरी ने हजरत अब्बास (अ.स.) के जीवन और शहादत पर प्रकाश डालते हुए कहा, "हजरत अब्बास ने इमाम की आज्ञाकारिता, निष्ठा, साहस, रहस्यवाद और अंतर्दृष्टि का उच्चतम मानक स्थापित किया जो कयामत तक दुनिया के जवानों के लिए प्रकाश की किरण है। अगर आज के युवा ईश्वर, रसूल (स.अ.) और इमाम (अ.स.) की आज्ञाकारिता का गुण सीखना चाहते हैं, तो उन्हें हजरत अब्बास (अ.स.) के चरित्र का अध्ययन करना चाहिए। मौलाना ने इमाम हुसैन (अ.स.) के 32 वर्षीय छोटे भाई हजरत अब्बास (अ.स.) की शहादत का जिक्र किया। अकीदतमंदों ने हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) को उनके भाई का पुरसा दिया । जिनकी शहादत के गम में उनकी कमर टूट गई थी। मजलिस में सोज ख्वानी दानिश आबिदी और बिरादरान नें की। मजलिस के बाद हजरत अब्बास अलमदार के अलम की शबीह निकाली गई। इस परंपरागत अलम की विशेषता यह है कि इसमें जो फरेरा है उसका कपड़ा खाना - ए - काबा के गिलाफ का है । मजलिस में अंजुमन ए इमामिया मेरठ ने नौहा ख्वानी और मातम किया।
जुमे की नमाज के बाद मौलाना शब्बर हुसैन खाँ ने अजा खाना शाह कर्बला वक्फ मंसबिया में अपने शीर्षक ' फज़ल-ए- ईलाही और हिदायत की जिम्मेदारी' के तहत मजलिस को संबोधित किया। मौलाना ने मजलिस में इमाम हुसैन (अ.स.) के छह महीने के नवजात बेटे हजरत अली असगर की क्रूर शहादत का जिक्र किया। मजलिस में सोज़ ख्वानी फिरोज अली ने की । इस मौके पर बड़ी संख्या में अकीदतमंद शामिल हुए।
मुहर्रम कमेटी की मीडिया प्रभारी डॉ. इफ्फत जकिया ने बताया कि मगरिब की नमाज के बाद दिल्ली गेट थाना स्थित कोटला इमामबारगाह से जुलूस - ए - अलम निकाला गया और छोटी कर्बला इमामबारगाह होता हुआ अजाखाना शाह कर्बला पहुंचकर समाप्त हुआ। जुलूस का अलम हसन मुर्तजा ने उठाया। जुलूस के आयोजक शब्बीर हुसैन बब्लू थे। जुलूस में बड़ी संख्या में अकीदतमंद शामिल हुए।
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