अर्जुन देशवाल
नित्य संदेश, बहसूमा। रविवार को क्षेत्र में फादर्स डे धूमधाम से मनाया गया, किसी ने मैसेज भेजकर तो किसी ने अपने पिता को उपहार देकर फादर डे सेलिब्रेट किया। शिक्षक अर्जुन देशवाल ने अपने पिता को उपहार देकर फादर डे धूमधाम से मनाया।
उन्होंने कहा कि पिता जीवन ही नहीं देते, जीवन-मूल्य भी देते हैं। इस दुर्लभ संसार में लाने वाले पिता, देवताओं, ऋषियों और देवी तीर्थो से भी
अधिक पूजनीय और वंदनीय है। आज जो भी वैभव, यश, मान और प्रतिष्ठा आपके पास है, उसमें पिता की साधना, यश, तप और शुभकामनाओं की ही खुशबू
यत्र-तत्र- सर्वत्र समाई है। उन्होंने तिल-तिल जलकर अपना सारा जीवन व शक्ति आपके
व्यक्तित्व के निर्माण में लगा दिया। पिता का साया बरगद की घनी छांव के समान है, उनके रहते दुःख, ताप, पीड़ा और काली छाया के अंगारे
तक भी आपको छू नहीं सकते। देवतीर्थो से पवित्र ह्रदय वाले पिता अपना जीवन लगाकर
अपनी संतति के उद्धार के लिए प्राण पण से लगे रहते हैं। जब पिता रहते हैं, तो पल-पल, क्षण-क्षण ईश्वरीय सत्ता का
ज्ञान ही नहीं कराते, बल्कि जीवन का कतरा-कतरा देव सत्ता
से अधिशासित होने का बोध कराकर, हर उपलब्धि का श्रेय नीली छतरी
वाले को देते नहीं अघाते और परोक्षत अपनों के कल्याण के लिए चिंतातुर रहते हैं।
ईश्वर में प्रबल आस्था पिता के लिए ऊर्जा का कारण बनती है, जिससे प्रेरित
होकर वह प्रभु सत्ता का प्रसाद जब तब अपनों को देने के लिए उतावले रहते हैं, पिता प्रेम, श्रद्धा और आस्था के सिवाय अपनों से
कुछ भी नहीं चाहते, बदले में उन्हें वह देना चाहते हैं, जो कभी भी न समाप्त होने वाला हो, पिता अपनों की
रक्षा और कल्याण के लिए हर क्षण, हर पल, हर देश और दिशा में तत्पर रहते हैं।
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