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Friday, June 27, 2025

आलोचना से न डरें, आलोचना ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है: प्रोफेसर जमाल अहमद सिद्दीकी


चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में डॉ. इरशाद स्यानवी और उज्मा सहर की पुस्तकों का लोकार्पण 

नित्य संदेश, मेरठ। पुस्तक लिखना कोई आसान काम नहीं है। पुस्तक लिखने के दो उद्देश्य होते हैं। एक तो अपना विकास, यानी पुस्तक का लेखक अपना स्कोर बढ़ाना चाहता है और दूसरा समाज के लिए, जो इसे पढ़कर आगे बढ़ सके और यह प्रक्रिया किसी भी लेखक के लिए शिखर होती है। दोनों लेखकों को बधाई, खासकर उज्मा सहर को। क्योंकि वह अभी भी एक शोधार्थी हैं और उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है। एक और बात मैं कहना चाहूंगा कि आलोचना से कभी न डरें क्योंकि आलोचना ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। साथ ही मैं यह भी कहना चाहूंगा कि यह सफर रुकना नहीं चाहिए। यह शब्द उर्दू विभाग में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि प्रोफेसर जमाल अहमद सिद्दीकी (पुस्तकालय अध्यक्ष, सीसीएसयू) के थे। 
 
कार्यक्रम की शुरुआत कुरान शरीफ की तिलावत से मुहम्मद नदीम ने की। इसके बाद साजिद रब्बानी ने नात पेश की और अतिथियों का स्वागत फूलों से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने की। ताहिर अली सैफी (जिलाध्यक्ष समाजवादी पार्टी बुलंदशहर), सरधना के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. मुहम्मद आदिल (प्रसिद्ध चिकित्सक, सरधना) विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। स्वागत भाषण डॉ. शादाब अलीम ने, संचालन डॉ. आसिफ अली ने और आभार डॉ अलका वशिष्ठ ने किया। 

इस दौरान डॉ इरशाद स्यानवी की नई आलोचनात्मक पुस्तक "कथा आलोचना: परंपरा और समकालीन परिदृश्य" और उर्दू विभाग की शोध छात्रा उज़मा सहर द्वारा संकलित पुस्तक "सैयद अहमद शमीम: साहित्य की विश्वसनीयता" का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। विभाग की शोध छात्रा सैयदा मरियम इलाही ने कथा आलोचना: परंपरा और समकालीन परिदृश्य और डॉ नवीद खान ने सैयद अहमद शमीम: साहित्य की विश्वसनीयता पर टिप्पणियां प्रस्तुत कीं। इस अवसर पर उज़मा सहर ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मैं आज जो कुछ भी हूं वह मेरे शिक्षकों की कड़ी मेहनत का नतीजा है जिन्होंने हर कदम पर मेरा मार्गदर्शन किया और यह मेरा पहला प्रयास है और आप जानते हैं कि पहले प्रयास में कुछ कमियां हैं लेकिन मैं इस यात्रा को और बेहतर बनाने की कोशिश जारी रखूंगी। मैं अपने माता-पिता का भी बहुत आभारी हूं जिन्होंने मुझे हर तरह की सुविधाएं प्रदान कीं। 
ताहिर सैफी ने कहा कि उर्दू बहुत ही खूबसूरत भाषा है। मैं भी इरशाद स्यानवी साहब के शहर से ताल्लुक रखता हूं। यह उनकी छठी किताब है। वह अपने क्षेत्र का भी नाम रोशन कर रहे हैं। मुझे उन पर बहुत गर्व महसूस हो रहा है। दोनों लेखकों को मेरी बधाई। आप इसी तरह आगे बढ़ते रहें। इस अवसर पर डॉ ईश्वर चंद गंभीर ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अफाक अहमद ने कहा कि डॉ इरशाद सियानवी और उज्मा सहर ने बहुत मेहनत की है। इन दोनों की ये मेहनत जरूर रंग लाएगी। दोनों किताबें न सिर्फ छात्रों के लिए बल्कि उर्दू अदब के लिए भी एक बेहतरीन योगदान हैं। 

अंत में अपने अध्यक्षीय भाषण में विमोचित पुस्तकों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने कहा कि डॉ इरशाद स्यानवी की किताब का अपना अलग मुकाम है। साथ ही यह भी कहा जा सकता है कि 21वीं सदी में लिखे जा रहे उपन्यासों की दिशा और गति तथा उसकी बारीकियों को समझने के लिए किताब को पढ़ना अपरिहार्य है। आधुनिक कथा आलोचना में इस किताब का महत्व है। इरशाद सियानवी कथा आलोचना के उभरते हुए नए सितारे हैं और आधुनिक आलोचना को डॉ इरशाद सियानवी से काफी उम्मीदें जुड़ी हैं। दूसरी किताब उज्मा सहर है, जो सैयद अहमद शमीम पर है। निःसंदेह, सैयद अहमद शमीम ने आधुनिक कविता में अपनी सशक्त पहचान स्थापित की है। उन्होंने अपनी कविता में रोमांस और आधुनिकता का सुंदर मिश्रण किया है, जो उन्हें अन्य कवियों से अलग करता है। उज़मा सहर ने बहुत जल्दी अपनी पहचान स्थापित की है। यह पुस्तक इस बात का प्रमाण है कि वह एक मेहनती और बुद्धिमान छात्रा है। यदि वह भविष्य में भी इसी तरह मेहनत करती रही, तो वह दिन दूर नहीं जब उसके भीतर का आलोचक बाहर आ जाएगा। उसे भी बधाई।

कार्यक्रम में डॉ. शबिस्तान आस मुहम्मद, नुज़हत अख्तर, ताहिरा परवीन, फैजान ज़फर, जाहिद मिर्ज़ा जाहिद, मुईनुद्दीन, आरिफ खटोलवी, डॉ. मसीह-उल-ज़मां, हाजी मुहम्मद इरफ़ान, मुहम्मद रियाज़ुद्दीन, मुहम्मद यूनुस, मुहम्मद इदरीस, हाजी आफ़ताब, समर अहमद, मुहम्मद मोहसिन, मुहम्मद कैफ़, लाइबा, शिफ़ा, उमयदीन शाहर और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे।

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