नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। विद्युत कर्मचारी
संयुक्त संघर्ष समिति ने पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन के बयान पर पलटवार करते हुए कहा
है कि यदि कर्मचारी संगठन सरकार की नीति नहीं तय करेंगे तो कथित डिस्कॉम एसोसिएशन भी
सरकार की नीति नहीं तय करेंगे।
संघर्ष समिति ने मंगलवार को कहा कि घंटों चलने वाली वीसी बिजली आपूर्ति के लिए साधक नहीं, अपितु बाधक होती है। लगातार 188वें दिन बिजली कर्मियों ने निजीकरण के विरोध में प्रांत भर में विरोध प्रदर्शन जारी रखा। संघर्ष समिति मेरठ के पदाधिकारियों इं सीपी सिंह (सेवानिवृत), इं कृष्ण कुमार साराश्वत, इं निखिल कुमार, इं निशान्त त्यागी, इं प्रगति राजपूत, कपिल देव गौतम, जितेन्द्र कुमार, विवेक सक्सेना, प्रदीप डोगरा आदि एवं जूनियर इंजीनियर संगठन के पदाधिकारियों राम आशीष कुशवाहा, गुरुदेव सिंह, रविंद्र कुमार, प्रेम पाल सिंह, अश्वनी कुमार आदि ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन के इस वक्तव्य कि सरकार की नीति कर्मचारी संगठन तय नहीं करेंगे, पर पलटवार करते हुए कहा है कि सरकार की नीति कथित आल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन भी नहीं तय करेगी, जिसके स्वयंभू जनरल सेक्रेटरी डॉ. आशीष गोयल हैं।
संघर्ष समिति ने
कहा कि पता चला है कि यह एसोशिएशन मोटा चंदा वसूल रही है और आशीष गोयल के साथ इसके
कोषाध्यक्ष अमरदीप सिंह एक निजी कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। संघर्ष समिति
ने कहा कि यह निजी कॉरपोरेट अपने निहित स्वार्थ में उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों का निजीकरण
करने पर तुले हुए हैं। ऊर्जा भवन कार्यालय में हुई विरोध सभा में सभी बिजली कर्मचारियों
ने निजीकरण के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद की।
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