नित्य संदेश एजेंसी
नई दिल्ली: जब कर्नल सोफिया कुरेशी ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का ऐलान किया, तो यह सिर्फ एक सैन्य ब्रीफिंग नहीं थी, बल्कि यह इतिहास का एक सुनहरा पन्ना था। भारतीय सेना की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलने वाली दो महिला अधिकारियों में से एक सोफिया ने अपनी शांत और दमदार उपस्थिति से पूरे देश का दिल जीत लिया। उनकी आवाज में गर्व था और उनकी वर्दी में देशभक्ति की चमक। यह पल सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक प्रेरणा बन गया।
इस ऐतिहासिक पल की सबसे भावुक गवाह थीं सोफिया की जुड़वां बहन डॉ. शाइना सनसारा। जब शाइना ने अपनी बहन को नेशनल टेलीविजन पर वर्दी में देखा, तो उनकी आंखों में गर्व के आंसू थे। शाइना ने बताया कि एक रिश्तेदार के फोन कॉल से उन्हें पता चला कि सोफिया ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग देने वाली हैं। टीवी चालू करते ही वह भावनाओं में डूब गईं। शाइना ने गर्व से कहा, 'यह सिर्फ मेरी बहन नहीं, पूरे देश की बेटी है।'
क्या करती हैं शाइना सनसारा?
सोफिया की जुड़वां बहन शाइना अर्थशास्त्री, पर्यावरणविद्, फैशन डिजाइनर, पूर्व आर्मी कैडेट और राइफल शूटिंग में गोल्ड मेडलिस्ट (राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित) शाइना वडोदरा की ‘वंडर वुमन’ हैं। उन्होंने गुजरात में एक लाख पेड़ लगाने की पहल की, जिसने उन्हें देश-विदेश में मशहूर किया। मिस गुजरात, मिस इंडिया अर्थ 2017, मिस यूनाइटेड नेशंस 2018, शाइना की उपलब्धियां अनगिनत हैं। बचपन में मां की साड़ी काटकर ड्रेस बनाने वाली शाइना की क्रिएटिविटी आज भी उनकी पहचान है।
ऑपरेशन सिंदूर में बनीं एक नई प्रेरणा
कर्नल सोफिया कुरेशी ने जब ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की कहानी देश के सामने रखी, तो यह सिर्फ एक सैन्य जीत नहीं थी। यह महिलाओं की ताकत, देशभक्ति और सपनों की उड़ान की कहानी थी। शाइना ने कहा, 'सोफिया ने दिखाया कि अगर हौसला हो, तो कोई सपना असंभव नहीं।' ऑपरेशन के लिए सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए शाइना ने इसे देश के लिए एक गर्व का पल बताया। कर्नल सोफिया कुरेशी और डॉ. शाइना सनसारा दो बहनें, दो प्रेरणाएं, और एक कहानी जो हर भारतीय को गर्व से सिर ऊंचा करने पर मजबूर करती है।
फौजी परिवार की बेटियां
सोफिया और शाइना एक ऐसे परिवार से हैं, जहां देशभक्ति खून में बस्ती है। उनके पिता 1971 के बांग्लादेश युद्ध के नायक रहे, दादाजी सेना में थे, चाचा BSF में, और परदादा ने ब्रिटिश सेना छोड़कर आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया। उनकी दादी की कहानियां 1857 के विद्रोह में झांसी की रानी के साथ लड़ने वाले एक पूर्वज की वीरता से भरी थीं। शाइना ने कहा, 'सोफिया को ऑपरेशन सिंदूर की बात करते देखना ऐसा था, मानो झांसी की रानी फिर से जीवंत हो गई हों।' बचपन में दोनों बहनें सेना में शामिल होने का सपना देखती थीं, लेकिन तब महिलाओं को इजाजत नहीं थी। सोफिया ने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा था, 'अगर सेना नहीं, तो DRDO में वैज्ञानिक बनूंगी या पुलिस जॉइन करूंगी।' आज, वह न सिर्फ सेना में हैं, बल्कि इतिहास रच रही हैं।
वीरता की मिसाल हैं कर्नल सोफिया
वडोदरा की बेटी कर्नल सोफिया कुरेशी, भारतीय सेना के कोर ऑफ सिग्नल्स की शान हैं। महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से बायोकेमिस्ट्री में मास्टर डिग्री लेने वाली सोफिया ने देश-विदेश में अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। 2006 में वह कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का हिस्सा बनीं, जहां उन्होंने युद्धविराम की निगरानी और मानवीय मदद का जिम्मा संभाला। 2016 में उन्होंने इतिहास रचा जब वह भारत की मेजबानी में हुए मल्टी-नेशनल एक्सरसाइज फोर्स 18 में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। पूर्वोत्तर में बाढ़ राहत कार्यों में भी उनकी भूमिका अविस्मरणीय रही।
No comments:
Post a Comment